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वन विभाग का खुलासा, चीन से जुडे़ बाघ की खाल के तस्कर गिरोह के तार

bhyredaaa_1447626406 (1)रायपुर। वन महकमे ने कोंडागांव में बाघ की खाल के साथ पकड़े गए तस्करों से पूछताछ के बाद चौंकाने वाला खुलासा किया कि खालें नेपाल के रास्ते चीन तक पहुंचाई जा रही हैं। बाघ के शिकार के बाद खालों को नेपाल होकर चीन तक पहुंचाने के लिए बड़ा चैनल बना हुआ है। इंटरनेशनल मार्केट में एक खाल की कीमत 50 लाख तक है और चीन में मांग सबसे ज्यादा है।
सीसीएफ वाइल्ड लाइफ और डीएफओ स्तर के अफसरों ने तीनों तस्करों से पूछताछ की तो संकेत मिले कि बाघ का शिकार महाराष्ट्र के जंगलों से किया गया। बाघ को पिस्टल से शूट नहीं किया गया। उसे जहर देकर मारने के बाद उसकी खाल निकाली गई। उसके बाद एक बोरी में रखकर छत्तीसगढ़ लाया गया। कोंडागांव में पकड़े गए तीनों तस्करों को महाराष्ट्र के तस्करों ने खबर दी। उन्हें महाराष्ट्र बार्डर पर बुलाया गया था। वहां उन्हें बोरी मेंं रखी खाल सौंपी गई। तीनों की जिम्मेदारी ओडिशा की बार्डर तक पहुंचाने की थी। वे उसे कोंडागांव लेकर आए। पकड़े जाने के अगले दिन वे खाल लेकर ओडिशा की बार्डर तक जाने वाले थे। वहां गिरोहबाजों का तीसरा चैनल नेपाल ले जाता। उसके पहले ही तस्कर जाल में फंस गए और खाल के साथ पकड़े गए। पूछताछ में उन्होंने बताया कि उन्हें महाराष्ट्र से फोन नहीं आया था। उन्हें ओडिशा से कॉल कर बताया गया था कि कहां जाकर खाल लेनी है।
सब्जी आ गई, ले जाओ…
पूरा रैकेट बेहद संगठित तरीके से चलता है। ओडिशा के तस्कर गिरोह को आपरेट कर रहे हैं। किसी को शक न हो, इसलिए बाघ की खाल को सब्जी कहकर संबोधित किया जाता है। फोन पर संदेश देते हुए केवल इतना कहा जाता है कि सब्जी आ गई है…ले जाओ। उसके बाद लोकेशन की जानकारी दी जाती है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि पैसों के भुगतान को लेकर भी बेहद सावधानी बरती जाती है। डिलीवरी अगर ओडिशा की बार्डर पर हो रही है तो भुगतान दिल्ली या मुंबई जैसे बिलकुल दूर और अलग दिशा के किसी बड़े शहर में की जाती है।
 
पड़ताल जारी – पीसीसीएफ
पीसीसीएफ एओ बोआज का कहना है कि उच्च स्तर पर जांच करवाई जा रही है। बाघों के शिकार को रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम भी कड़े किए जा रहे हैं। खाल की तस्करी का रैकेट चलाने वालों को बेनकाब करने पुलिस की भी मदद ली जाएगी।
 
महाराष्ट्र से मिला इनपुट
कोंडागांव में बाघ की खाल के साथ तीन तस्कर पकड़े गए थे। उनके बारे में महाराष्ट्र के डीएफओ ने इनपुट दिया था। उसके बाद वन विभाग की टीम ने छापामारी की और कोंडगांव, धमतरी व नगरी से तीन तस्करों को पकड़ा। उसके बाद ही पूछताछ के दौरान बाघों का शिकार कर खाल की तस्करी करने वाले रैकेट का पता चला। वन विभाग के इंटेलीजेंस की टीम ओडिशा में पड़ताल कर रही है।
ओडिशा से तस्करी
पुलिस अफसरों ने बताया कि जानवरों की खाल की तस्करी ओडिशा से हो रही है। इससे पहले भी ओडिशा के तस्कर पकड़े जा चुके हैं। पुलिस खाल बेचने वाले की तलाश कर रही है। उसके मोबाइल नंबर के आधार पर उसे ट्रेस किया जा रहा है। आरोपियों से खाल बेचने वाले का नंबर मिला है। आरोपी का लोकेशन ओडिशा बता रहा है। जल्द ही पुलिस की एक टीम खाल बेचने वाले के तलाश में भेजी जाएगी।
पीसीसीएफ एओ बोआज का कहना है कि उच्च स्तर पर जांच करवाई जा रही है। बाघों के शिकार को रोकने के लिए सुरक्षा के इंतजाम भी कड़े किए जा रहे हैं। खाल की तस्करी का रैकेट चलाने वालों को बेनकाब करने पुलिस की भी मदद ली जाएगी।
 
सजावट का सामान
तेंदुए की खाल को लोग सजाने के लिए लेते है। घर की दीवार पर खाल को लगाया जाता है। अफसरों के अनुसार इंटरनेशनल मार्केट में तेंदुए के खाल की कीमत 5 से 10 लाख तक है। भारत में खरीददार दो लाख तक देने को तैयार रहते हैं।

 

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