

यह बंदिश न तो मनमानी पूर्ण है और न ही भेदभावपूर्ण। किसी उपभोक्ता ने भी इसको लेकर शिकायत नहीं की है। इसलिए हम कारोबारियों की इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते हैं कि रेल नीर से लोगों को विकल्प का अभाव हो गया है। सालिसिटर जनरल ने कहा कि आईआरसीटीसी ने उत्तर रेलवे व उत्तर-पश्चिम रेलवे तथा झांसी विभाग में रेल नीर बेचने की शुरुआत भी कर दी है।
इस संबंध में रेलवे की स्पष्ट नीति है। इसको लेकर समय-समय पर सर्कुलर भी जारी किए गए हैं। इसे कई चरणों में लागू किया जाएगा। वहीं एसोसिएशन के वकील ने कहा कि रेलवे ने सिर्फ रेल नीर बेचने की बंदिश लगाकर एकाधिकार जामने की कोशिश की है। आईआरसीटीसी से हमें बोतलबंद पानी का एक कार्टून 120 रुपए से 126 रुपमें मिलता है जबकि निजी कारोबारियों से हमे यह कार्टून 90 रुपए में मिलता है। लिहाजा रेलवे की ओर से रल नीर बेचने की लगाई गई बंदिश मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।