मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि बेघर और भीख मांग रहे लोगों को भी कुछ काम करना चाहिए। उन्हें सब कुछ राज्य सरकार मुहैया नहीं करा सकती। दिन में तीन बार गरीबों को पोषणयुक्त खाना देने की मांग वाली जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ बृजेश आर्या की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कोर्ट से बीएमसी को गरीबों के लिए तीन वक्त का खाना, घड़े का पानी, घर और साफ शौचालय मुहैया कराने का निर्देश देने की मांग थी। बीएमसी ने इस पर कोर्ट को बताया कि कई एनजीओ की मदद से शहर में ऐसे लोगों को खाने के पैकेट दिये जाते हैं। महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन बांटे जाते हैं।
कोर्ट ने सरकार की दलील को स्वीकार करते हुए कहा, इस मामले में किसी अन्य आदेश की जरूरत नहीं है। बेघर लोग, भीख मांगने वाले और गरीबों को भी देश के लिए आगे आकर मेहतन करनी चाहिए। ये लोग कुछ काम करें सिर्फ सरकार इन्हें सब कुछ मुहैया नहीं करा सकती। याचिकाकर्ता से कोर्ट ने कहा, अगर इस तरह हम सबकुछ देने का निर्देश देंगे तो यह एक रूप से लोगों को कामकाज नहीं करने की आदत डालने जैसा होगा।