पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों में गूंजती है 65 टाइगर्स की आवाज, बीच पर निकल रहे मगरमच्छ, अक्टूबर से खोलने की तैयारी
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत का टाइगर रिजर्व देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अलग पहचान रखता है। खासियत है रोमांच और सुंदरता। जी हां, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बना ‘चूका बीच’ इको टूरिज्म स्पॉट के रूप में जाना जाता है। यहां की सुंदरता देख इंसान खुद को प्रकृति के बेहद करीब महसूस करता है। इतना ही नहीं, खुले में इधर-उधर घूमते बाघ आपके टूर में रोमांच भर देते हैं। यही कारण है कि यहां जो भी आता है, खूबरसूरत नजारों को कैमरे में कैद किए बिना नहीं रह पाता। अभी ‘चूका बीच’ बंद है। अक्टूबर में खुलेगा। यह तस्वीरें दैनिक भास्कर को वन विभाग ने उपलब्ध कराई हैं।
- 14 किमी तक जंगल में फैला है चूका स्पॉट।
- अक्टूबर से ही पर्यटक तैयारियां शुरू कर देते हैं, नवंबर आते-आते यहां मौसम सुहाना हो जाता है।
- 15 नवंबर से 15 जून तक पीक पर रहता है सीजन, फुल रहती है बुकिंग।
- हट्स बुक कराने के लिए टाइगर रिजर्व ऑफिस में देना होता है अप्लीकेशन।
- शारदा सागर की लहरें और बाइफरकेशन का नीला पानी कराता है समंदर जैसा अहसास।
- चूका बीच के पास नाइट कैंप की भी सुविधा मौजूद है और यहां पर आप सभी जरूरी सुविधाओं से लैस फॉरेस्ट हट में रात गुजार सकते हैं।
10 तस्वीरों में देखिए…पीलीभीत टाइगर रिजर्व और यहां बने ‘चूका बीच ‘की खबूसूरती
‘चूका बीच’ जंगल की हरी-भरी वादियों के बीच स्थापित किया गया है, इससे सटे क्षेत्र में शारदा सागर जलाशय भी है।
पर्यटकों के ठहरने के लिए यहां ट्री हट, वॉटर हट, बैंबू हट समेत अन्य हटों की व्यवस्था भी है।
- सैलानी बैंबो और थारू हटों के पास खड़े होकर सेल्फी लेना का मजा ही कुछ और पाते हैं।
- शारदा डैम की सुंदरता देखते ही बनती है।
- सॉवेनियर शॉप से कैप, जैकेट आदि की खरीदारी भी लोगों को खूब भाती है।
- बाइफरकेशन पर रुककर प्रकृति का लुत्फ उठाना बेहद सुखद फीलिंग देता है।
- यहां फैले नहरों के जाल को देखकर जो खुशी मिलती है, उसके तो क्या ही कहने।
9 जून 2014 को पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला था, जिसके बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक के बाद एक सफल प्रयास किए जा रहे हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व का जंगल बाघों के दीदार के लिए भी प्रसिद्ध है। पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगल में इनका कुनबा लगातार बढ़ रहा है।
बाघ को बड़ी संख्या में हैं ही, पर यहां मगरमच्छों की संख्या भी कम नहीं है। पानी से निकलकर यह बाहर आ जाते हैं।
गोवा की तर्ज पर यहां भी समंदर जैसे किनारे का नजारा पर्यटकों को एक अलग ही आनंद देता है।
टाइगर रिजर्व का इको टूरिज्म स्पॉट ‘चूका बीच’ देश ही नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों के लिए भी हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है।
शारदा सागर डैम और पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच स्थित किनारे को समुद्री तट के रूप में विकसित किया गया है, जहां शाम होते ही एक अनूठा ही अनुभव पर्यटकों को दिखाई देता है।
गोवा जाने के लिए आपको जहां हजारों रुपए का खर्च उठाना पड़ता है तो वहीं पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पर्यटन के लिए मिनी गोवा का नजारा कम बजट में पर्यटकों के लिए उपलब्ध है।
ये भी जानें
- पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 2014 में बाघों की संख्या 25 थी।
- वन विभाग के प्रयासों से साल 2018 में बाघों की संख्या दोगुने से ज्यादा 65 हो गई।
- इसी वजह से 13 देशों को पछाड़ बना पीलीभीत टाइगर रिजर्व नंबर वन बना।
- तेरह देशों नेपाल भूटान, भारत, रूस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, बांग्लादेश, पाकिस्तान आदि में मॉनीटरिंग के बाद ये तय हुआ है कि भारत में सबसे तेजी से बाघों की संख्या अगर कहीं बढ़ी है तो वो पीलीभीत जिला है।
- पीलीभीत टाइगर रिजर्व को अंतरराष्ट्रीय ग्लोबल अवॉर्ड देने का फैसला किया गया।
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