विज्ञापन जगत में चल रहा है भावना का सिक्का
नई दिल्ली । गूगल इंडिया के सीमा के आर-पार दोस्ती से लेकर आभूषण ब्रांड तनिष्क के दूसरी शादी वाले विज्ञापन आम लोगों की भावनाओं से जुड़ते हैं और कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के रूप में आ रहे नए बदलावों का संकेत देते हैं। 32 हजार करोड़ रुपये का भारतीय विज्ञापन उद्योग आम लोगों से जुड़ने के लिए भावनात्मक मुद्दों का सहारा ले रहे हैं। गूगल इंडिया के विज्ञापन में भारतीय उप महाद्वीप में 1947 में हुए बंटवारे में बिछुड़ गए दो दोस्तों को मिलते दिखाया गया है। इसमें एक वृद्ध दोस्त की पोती गूगल सर्च इंजन के सहारे अपने दादा के मित्र को खोजती है और दोनों को मिलाती है। टीवी अभिनेता रोहित राय के मुताबिक यह आज का सर्वोत्तम विज्ञापन है। वोडाफोन इंडिया के ब्रांड और उपभोक्ता इनसाइट्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रोणित मित्रा ने कहा कि भावना नया औचित्य है। वोडाफोन इंडिया के नए विज्ञापन में एक लड़की सोशल नेटवर्किंग साइट प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए अपनी भावना साझा करती है। मित्रा ने आईएएनएस से कहा ‘‘हम ऐसे युग में हैं जहां उत्पादों के बीच अंतर कम हो रहा है तो अंतर पैदा करने का बस एक ही रास्ता बचा है और वह है अपने ब्रांड को भावना से जोड़िए।’’ उदाहरण के लिए आभूषण ब्रांड तनिष्क के ताजा विज्ञापन में एक सांवली महिला अपनी पुत्री के सामने दूसरी शादी करती है।
विज्ञापन में महिला की भूमिका निभाने वाली प्रियंका बोस ने कहा कि भावना से जोड़कर ब्रांड की अलग पहचान बनाई जा सकती है।उन्होंने कहा कि एक अच्छा विज्ञापन सामाजिक बदलाव में भी सहायक हो सकता है। उन्होंने कहा ‘‘हम सिर्फ ब्रांड और उत्पाद पर ही ध्यान नहीं दे सकते हैं। हमें यह भी महसूस कराने की जरूरत है कि किस प्रकार भारत में आर्थिक और सामाजिक बदलाव हो रहे हैं। अगर आप लोगों के जीवन में थोड़ा बदलाव ला पाएं तो इसका दूरगामी असर होगा। विज्ञापन सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’
सामाजिक कार्य करने वाले समूह ‘जागो रे’ के साथ टाटा टी का गठजोड़ एयरटेल का ‘हर एक फ्रेंड जरूरी होता है’ विज्ञापन और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का ‘बंदे अच्छे होते हैं’ टीवी कमर्शियल को भी इसी कड़ी में देखा जा सकता है।