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गुरु पूर्णिमा पर बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, हर परेशानी का जवाब है बौद्ध धर्म

पीएम मोदी के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने भी गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के अवसर पर आषाढ़-पूर्णिमा और धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम में अपना संदेश साझा किया. उन्होंने कहा, आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम में मेरा मानना है कि बौद्ध धर्म की अपील औपचारिक रूप से लगभग 55 करोड़ अनुयायियों (followers) से अधिक लोगों तक जाती है. अन्य धर्मों के लोग और यहां तक ​​कि संशयवादी और नास्तिक भी बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति आकर्षित महसूस करते हैं.

उन्होंने कहा, बौद्ध धर्म की यह सार्वभौमिक और शाश्वत अपील समय और स्थान पर मानव द्वारा सामना की जाने वाली मूलभूत समस्याओं की तार्किक, तर्कसंगत और सरल उत्तरों की वजह से है. गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहा जाता है. इस दिन गोवर्धन पर्वत की लाखों श्रद्धालु परिक्रमा देते हैं. बंगाली साधु सिर मुंडाकर परिक्रमा करते हैं. ब्रज में इसे ‘मुड़िया पूनों’ कहा जाता है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. पूरे भारत में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. वैसे तो ‘व्यास’ नाम के कई विद्वान् हुए हैं, परंतु व्यास ऋषि जो चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे, आज के दिन उनकी पूजा की जाती है.

वहीं पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा था ‘आप सभी को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज हम गुरु-पूर्णिमा भी मनाते हैं और आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था.’ पीएम मोदी ने कहा, ‘आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने वैसा ही संकट है जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं. बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कैसे कर सकते हैं, भारत ने ये करके दिखाया है.

अपने इस संबोधन के बारे में खुद पीएम मोदी ने जानकारी दी थी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, 24 जुलाई को सुबह करीब 8:30 बजे आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस कार्यक्रम में अपना संदेश साझा करूंगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.

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