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स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ जब पहली बार ट्रायल के लिए समंदर में उतरा

नई दिल्ली: स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत का समुद्री ट्रायल शुरू हो गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च राजपथ मंत्री नितिन गडकरी ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें ‘आत्म निर्भर भारत’ के तहत ‘मेक इन इंडिया’ की नीति के मुताबिक बने इस एयरक्राफ्ट कैरियर का अद्भुत नजारा दिख रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की इस सफलता और इस स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर की विशेषताओं के बारे में रक्षा मंत्रालय की ओर से विस्तृत जानकारी दी गई है, इस जहाज में 1,700 क्रू के एक साथ ठहरने का इंतजाम है, जिसमें महिला अफसरों के लिए विशेष केबिन भी बनाए गए हैं।

स्वदेशी विमान वाहक ‘विक्रांत’ की पहली समुद्री ट्रायल स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना के डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया है और जहाजरानी मंत्रालय के उपक्रम कोच्चिन शिपयार्ड लिमिटेड में इसे बनाया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस जहाज के निर्माण में इस्तेमाल 76 फीसदी सामान स्वदेशी हैं। भारतीय नौसेना और कोच्चिन शिपयार्ड की ओर से स्वदेशी डिजाइन पर आधारित विमान वाहक बनाने की यह पहली कोशिश है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस तरह के स्वदेशी जहाज निर्माण से कोच्चिन शिपयार्ड में 2,000 और सहायक उद्यमों में 12,000 लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे।

आईएसी विक्रांत की क्या है खासियत ? आईएसी विक्रांत 262 मीटर लंबा, 62 चौड़ा और ऊपरी ढांचा समेत कुल 59 मीटर ऊंचा है। इसमें कुल 14 डेक हैं, जिनमें से 5 ऊपरी ढांचे में हैं। इस जहाज में 2,300 से ज्यादा कंपार्टमेंट हैं, जिसमें 1,700 से ज्यादा लोग रह सकते हैं। इनमें महिला अफसरों के लिए खासतौर पर बनाए गए स्पेशलाइज्ड केबिन भी शामिल हैं। इंडियन नेवी के लिए बनाए गए इस जहाज की मशीनरी को ऑटोमेशन में संचालन, नेविगेशन और अपनी सुरक्षा के हितों को देखते हुए डिजाइन किया गया है।

विक्रांत की टॉप स्पीड 28 समुद्री मील है विक्रांत की टॉप स्पीड 28 समुद्री मील है और इसकी सामान्य गति 18 समुद्री मील है। इस जहाज से फिक्स्ड विंग और रोटरी एयरक्राफ्ट उड़ान भर सकते हैं। जहाज के निर्माण का ज्यादातर काम पूरा होने के बाद आज से ट्रायल का फेज शुरू किया गया है। पिछले 25 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस विमान वाहक के निर्माण का मुआयना खुद जहाज पर जाकर कर आए थे। लेकिन, कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते समुद्री ट्रायल में देरी हो गई थी।

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