बिलासपुर: कोरोना महामारी के दौरान तीन कर्मचारियों की इसकी चपेट में आ जाने के कारण मृत्यु हो गई और आश्रितों के परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बतौर क्षतिपूर्ति व जीवन निर्वहन के लिए राज्य सरकार से 50 लाख रुपये मुआवजे देने की मांग की। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी के सिंगल बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश जारी किए।
उल्लेखनीय हैं कि नीरादेवी, नरेंद्र सिंह ठाकुर और शिवकुमार सारथी ने वकील अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की है। नीरादेवी के पति स्व. महेंद्र कुमार शिक्षक के पद पर कार्यरत थे एवं स्व देवकी सिंह ठाकुर (शिक्षक) इनकी ड्यूटी करोना महामारी के रोकथाम के लिए लगाई गई थी। ड्यूटी के दौरान दोनों संकमित हो गए और अस्पताल में इनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकतार्ओं ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर मुआवजा की गुहार लगाई है। याचिका के अनुसार केंद्र शासन द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज लागू की गई है।
इसमें प्राविधान है कि यदि कोरोना के रोकथाम के दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मृत्यु हो जाती है तो उन्हें 50 लाख रुपये का पैकेज दिया जाता है। किंतु इसी प्रकार अन्य विभाग के कर्मचारी की कोरोना ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर मृत्यु हो जाती है तो उन्हें कोई बीमा राशि नहीं दी जाती है। याचिका के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने मुख्यमंत्री ने कोविड -19 योद्धा कल्याण योजना जारी कर स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त केंद्र शासन की योजना से लाभांवित नहीं हो रहे है एवं अन्य विभाग के कर्मचारी कोविड -19 महामारी के लिए अपनी सेवाएं देते हुए दिवंगत हो जाते हैं तो उन्हें 50 लाख रुपये क्षतिपूर्ति राशि देने बीमा योजना लागू की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी योजना उन कर्मचारियों के लिए लागू की है जो केंद्र शासन के परीधि में नहीं आते हैं।
याचिका के अनुसार छग शासन ने ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है इसके कारण मृत कर्मचारी का परिवार अपने मुखिया को खोने के बाद जीवन यापन के लिए दर-दर भटक रहे हैं और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। याचिकाकर्ता नीरादेवी ने अपना पति एवं याचिकाकर्ता नरेंद्र सिंह ठाकुर ने अपनी पत्नी को कोरोना महामारी के रोकथाम मे खो दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी के सिंगल बेंच में हुई और उन्होंने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।