राज्य

असम परिषद विस्थापित संथालों, बोडो व मुसलमानों का करेगी पुनर्वास

गुवाहाटी: असम के बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) प्रशासन ने 1996 से जातीय दंगों और आतंकवाद में अपने गांवों से विस्थापित हजारों संथालों, बोडो और बंगाली भाषी मुसलमानों के पुनर्वास का फैसला किया है। बीटीसी प्रमुख प्रमोद बोडो ने रविवार को यह जानकारी दी। चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और कोकराझार के चार पश्चिमी जिलों वाले बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) में अलग-अलग बोडो-संथाल संघर्षों और उग्रवादियों की हिंसा में 1996 से अब तक 2.5 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

प्रमोद बोडो ने मीडिया से कहा, बीटीसी ने अगले तीन महीनों के भीतर विस्थापित बोडो, संथाल और अन्य लोगों को उनके गांवों में वापस ले जाने का फैसला किया है। कुछ विस्थापित लोग पिछले 25 वर्षों से राहत शिविरों में शरण लिए हुए थे, जबकि अन्य कहीं और स्थानांतरित हो गए थे। उन्होंने कहा कि बोडोलैंड क्षेत्रों में 1996, 2008, 1998 और 2012 में बड़ी घटनाओं के साथ कई जातीय दंगे और उग्रवादी हिंसा देखी गई।

युनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के अध्यक्ष बोडो ने कहा कि बीटीसी प्रभावित लोगों को उनके मूल गांवों में पुनर्वास करने और एक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बीटीआर बनाने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वापसी करने वालों के लिए मकान बनाए जाएंगे और साथ ही अन्य क्षेत्र विकास योजनाओं पर भी काम किया जाएगा।

उन्होंने कहा, दंगा और उग्रवाद प्रभावित लोग इतने सालों में सुरक्षा कारणों से अपने इलाकों में नहीं लौटे। बीटीसी ने उनके गांवों में पुलिस चौकियां स्थापित करने का फैसला किया है। दिसंबर 2014 में संथाल भी प्रभावित हुए थे, जब नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के उग्रवादियों ने बीटीआर और उसके आसपास हिंसक हमलों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया था, जिसमें लगभग 76 लोग मारे गए थे।

2008 और 2012 में बोडो और बंगाली भाषी मुसलमानों के बीच जातीय हिंसा भी देखी गई, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग अपने घरों और गांवों से विस्थापित हो गए। इन हिंसा में एनडीएफबी के चरमपंथी भी शामिल थे।

Related Articles

Back to top button