मार्गशीर्ष में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालभैरव अष्टमी मनाई जाती है। इसे भैरवाष्टमी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान भैरव की पूजा का श्रेष्ठ दिन माना जाता है। भगवान कालभैरव शिव के अंश हैं। उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से विभिन्न कष्ट और दोषों का निवारण होता है। आगे पढ़िए कुछ आसान उपाय जिससे भगवान भैरव दूर करते हैं जीवन के दुख।
भैरवाष्टमी के दिन भगवान भैरव के मंदिर में जाकर उनका पूजन करना चाहिए। उन्हें नीले रंग के पुष्प चढ़ाने से ग्रहों के दोष का निवारण होता है। भैरव को मिठाई के साथ चावल, उड़द, सिंदूर आदि अर्पित किए जाएं तो वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
भैरव के मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाने से सफलता के मार्ग में आ रहे अवरोध दूर होते हैं। चूंकि भैरव का वाहन श्वान है। इसलिए श्वान को मिठाई और रोटी खिलाने से भी वे प्रसन्न होते हैं। इससे कुंडली के दोष दूर होते हैं और भाग्योदय के मार्ग में आ रही कठिनाइयां परेशान नहीं करतीं।
श्वान को गुड़ खिलाने से भी भैरव की कृपा प्राप्त होती है। जिन लोगों के काम बीच में बिगड़ जाते हैं उन्हें यह उपाय आजमाना चाहिए। खासतौर से गुरुवार को यह उपाय शीघ्र व शुभ फल देता है। इसके अलावा बुधवार को भैरव मंदिर में जलेबी का प्रसाद चढ़ाएं और श्वान को खिलाएं। इससे अकाल मृत्यु, कारोबार में नुकसान, रोग और दांपत्य जीवन में आने वाली समस्याएं दूर होती हैं।