नई दिल्ली। पिछले सात दशक से चल रहे नगा समस्या के समाधान की उम्मीदें बढ़ गई हैं। नागालैंड में शांति को लेकर केंद्र सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (के) निकी ग्रुप के साथ संघर्ष विराम समझौता किया। गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी। एनएससीएन (आइएम) के कैडर बड़ी संख्या में निकी सुमी के संगठन में शामिल हो रहे हैं। वहीं एनएससीएन (आइएम) के महासचिव टी. मुइवा अलग संविधान और झंडे की मांग पर अड़ा हुआ है।
नगालैंड पर नजर रखने वाले सूत्रों के अनुसार मुइवा के अडि़यल रवैये और भ्रष्टाचार के कारण आम लोगों का नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड (एनएससीएन-आइएम) से मोहभंग होने लगा है। ज्ञात हो कि एनएससीएन (आइएम) ने केंद्र सरकार के साथ 2015 में समझौते के मसौदे पर हस्ताक्षर किया था लेकिन चार साल तक बातचीत के बाद फाइनल समझौते के समय वह अलग झंडे और संविधान को लेकर अड़ गया।
दो महीने पहले दीमापुर के नुईलैंड के कई पदाधिकारी एनएससीएन (आइएम) का साथ छोड़कर निकी सुमी के संगठन में शामिल हो गए थे। इससे पहले भी सैकड़ों कैडर दूसरे संगठनों में जा चुके हैं। इसी तरह थांगकुल बैपटिस्ट चर्चों और थांगकुल नगा बैपटिस्ट कनवेंशन के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश मुइवा पर भारी पड़ गई है। वहीं 16 अप्रैल को हनफन में एनएससीएन (आइएम) के मुखपत्र माने जाने वाले थांगकुल नगा लांग के दफ्तर को जला दिया गया।
कोरोना संकट के दौरान गरीबों को केंद्र की ओर से दी जाने वाली मुफ्त अनाज में हिस्सेदारी मांगने से एनएससीएन (आइएम) के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। एनएससीएन (आइएम) के उग्रवादी लोगों को मिलने वाले गेहूं में पांच फीसद और चावल में 10 फीसद हिस्सेदारी मांग रहे हैं। कई स्थानों पर आम लोगों ने मुइवा के लोगों को मारकर भगा भी दिया था।