अन्तर्राष्ट्रीय

तालिबानी सरकार के लिए अभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता है उलझा मामला, रेजिस्टेंस फोर्स के एलान ने फंसाया पेंच

काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान ने लंबी माथापच्ची के बाद मंगलवार को अपनी नई सरकार का ऐलान तो कर दिया. मगर, इस घोषणा से उसकी सरकार के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता की चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है. वहीं नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स ने जल्द ही अपनी समानांतर सरकार की घोषणा की बात कर पेंच और उलझा दिया है.

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों के मुताबिक पहली बड़ी चुनौती तो संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता का होगा. नियम अनुसार किसी भी देश में यदि गैर लोकतांत्रिक तरीके से शासन व्यवस्था बदलती भी है तो आने वाली सरकार अपने नए प्रतिनिधिमंडल के नामों की सूची यूएन को भेजती है. हालांकि मामला ऐसे में पेचीदा हो जाता है जब एक ही देश के लिए दो समानांतर सरकार हैं अपने दावे पेश करें. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे में मामला फैसले के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के पास जाता है और इस प्रक्रिया में समय लग सकता है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र इसी माह है और अभी तक अफगानिस्तान में नई सरकार ने औपचारिक तौर पर कामकाज नहीं सम्भाला है. ऐसे में यदि तालिबान सरकार के साथ साथ रेजिस्टेंस फोर्स भी अपने प्रतिनिधिमंडल की सूची यूएन को भेज देता है तो मामला संयुक्त राष्ट्र की मान्यता समिति के स्तर पर हल होना मुश्किल है. इतना ही नहीं प्रतिस्पर्धी और समानांतर दावों के बीच विभिन्न देशों के लिए भी अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता देने का सवाल उनका होगा.

गौरतलब है कि मंगलवार शाम तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद की तरफ से नई सरकार के नामों की घोषणा के कुछ ही देर बाद रेजिस्टेंस फोर्स ने भी जल्द अपनी सरकार के बारे में एलान की बात की. रेजिस्टेंस फोर्स की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि वह एक लोकतांत्रिक समावेशी अफगान सरकार बनाने के लिए अनेक राजनीतिक पक्षों और वरिष्ठ नेताओं के साथ संपर्क में है. जल्द ही इस बारे में घोषणा की जाएगी.

ध्यान रहे कि 15 अगस्त 2021 को राष्ट्रपति अशरफ घनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद अफगानिस्तान में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया. तालिबान के लड़ाकों ने काबुल में दाखिल होकर नियंत्रण तो किया लेकिन उनकी तरफ से भी किसी वैकल्पिक सरकार की घोषणा 7 सितंबर से पहले नहीं की गई. वहीं इसके पहले गनी सरकार में उप राष्ट्रपति रहे अम्रुल्लाह साले ने इस्लामिक गणराज्य अफ़ग़ानिस्तान के संविधान का हवाला देते हुए अपने को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था.

Related Articles

Back to top button