धरे रहे गए कड़े कानून-दावे-सेमिनार-जागरूकता शिविर, बाल अत्याचार के मामलों में 3 साल में हुई दोगुना बढ़ोतरी
भारत सरकार के बाल अत्याचारों पर लगाम कसने को लेकर बनाये गए सख्त कानून और तमाम तरह के दावों की एक बार फिर पोल खुल गई है। दरअसल, बाल अत्याचार के मामलों को लेकर सरकार ने गुरुवार को राज्य सभा में ताज़ा आंकड़े सदन के समक्ष पेश किए।
आंकड़ों से साफ़ हो गया कि बाल अत्याचार को रोकने के सिलसिले में बनाए गए कड़े कानून और साथ ही इस क्षेत्र में चलाये जा रहे तमाम तरह के अभियानों का कोई ख़ास असर नहीं पड़ रहा है।
तीन साल में दोगुने बढे मामले
पिछले तीन साल में देश भर में बच्चों पर अत्याचार की घटनाओं में दोगुना वृद्धि हुई है। यह जानकारी केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में दी।
मेनका गांधी ने बताया कि बच्चों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों को आधार बनाते हुए कहा कि देश भर में वर्ष 2012 में बच्चों के खिलाफ अत्याचार के 38 हज़ार 172 मामले दर्ज किए गए। जबकि 2013 में 58 हज़ार 224 और 2014 में 89 हज़ार 423 मामले दर्ज किए गए है। इस तरह तीन साल में घटनाओं में दोगुनी वृद्धि हुई।
फिर वही दावे
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने इन अत्याचारों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। गत मार्च से एक आनलाइन शिकायत प्रणाली भी चालू की गई है और बच्चों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए देश में सेमीनार, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण आयोजित किए गए। साथ ही बाल अधिकारों के क्रियान्वयन की निगरानी भी की जाती है।