योगी सरकार ने घोषित की गन्ने की सट्टा नीति, अब इस नियम से जारी होंगी पर्चियां
योगी सरकार ने अगले पेराई सत्र के लिए गन्ने की नयी सट्टा नीति घोषित कर दी है। इसके तहत गन्ने के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए प्रति किसान प्रति हेक्टेयर गन्ने की आपूर्ति सीमा बढ़ा दी गयी है। प्रति सीमांत किसान (एक हेक्टेयर तक) अधिकतम 850 कुंतल, लघु किसान के लिए (दो हेक्टेयर) तक के लिए 1,700 कुंतल और सामान्य किसान के लिए (पांच हेक्टेयर) तक के लिए 4, 250 कुंतल तय किया गया है। उपज बढ़ोतरी की दशा में सट्टे की अधिकतम सीमा सीमा, लघु व सामान्य किसान के लिए क्रमश: 1350,2,700 और 6, 750 कुंतल होगी।
गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड्डी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गन्ना आपूर्ति नीति के आधार पर ही प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ने की पर्चियां जारी करने सहित आपूर्ति के लिए विस्तृत निर्देश चीनी मिलों को दिये जाते हैं। ट्रेंच विधि से बोवाई, सहफसली खेती एवं ड्रिप के प्रयोग एक ही खेत पर शुरू करने वाले चयनित ‘उत्तम गन्ना कृषकों से उपज बढ़ोतरी के प्रार्थना-पत्र निःशुल्क प्राप्त किये जाएंगे। ड्रिप इरिगेशन पद्धति से सिंचाई करने वाले किसानों को उपज बढ़ोतरी में प्राथमिकता दी जाएगी।
जो किसान पेराई सत्र 2020-21 में नये सदस्य बने हैं तथा जिन्होंने एक वर्ष ही गन्ने की आपूर्ति की है उनके एक वर्ष की गन्ना आपूर्ति को बेसिक कोटा माना जाएगा। जिन किसानों के पास गन्ने की उपज क्राप कटिंग प्रयोगों की औसत उपज से अधिक है वे आवश्यकतानुसार उपज बढ़ोतरी के लिए अपने आवेदन पत्र निर्धारित शुल्क के साथ 30 सितम्बर तक दे सकते हैं।
गन्ना कृषकों की मांग के चलते इस वर्ष सट्टा नीति में यह भी निर्णय लिया गया है कि यदि किसी सट्टाधारक सदस्य कृषक की मृत्यु पेराई सत्र के दौरान हो जाती है तो कृषक की आपूर्ति योग्य गन्ने की सामयिक खपत के दृष्टिगत उसका सट्टा चालू रखा जाएगा किन्तु यह सुविधा केवल वर्तमान पेराई सत्र 2021-22 के लिए ही मान्य होगी। सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों, भूतपूर्व सैनिकों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके विधिक उत्तराधिकारियों को सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर गन्ना आपूर्ति में प्राथमिकता दी जाएगी।