नैनीताल: देश की ऐतिहासिक चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या पर लगे प्रतिबंध को हटाने के मामले में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में कल (सोमवार) को सुनवाई हो सकती है। सरकार की ओर से ऐसे संकेत दिये गये हैं कि वह कल इस मामले को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली युगलपीठ के संज्ञान में लायेंगे और कल ही इस प्रकरण पर सुनवाई का अनुरोध करेंगे। मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत की ओर से बताया गया कि सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में इस आशय का प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। सरकार की ओर से अदालत से यात्रियों की संख्या में वृद्धि करने की मांग की गयी है। बदरीनाथ और केदारनाथ में प्रतिदिन 3000-3000 तथा गंगोत्री एवं यमुनोत्री में क्रमशः 1000 और 700 तीर्थयात्रियों की अनुमति मांगी गई है।
सरकार की ओर से यह भी दलील दी गयी है कि चारधाम यात्रा के दौरान आज तक एक भी कोरोना महामारी का मामला सामने नहीं आया है। सभी धाम अलग-अलग जनपदों में मौजूद हैं और श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी करने से कोई समस्या उत्पन्न नहीं होगी। सरकार की ओर से इस मामले में तिरूपति बालाजी धाम का भी उदाहरण दिया गया है। कहा गया है कि तिरूपति बालाजी में प्रतिदिन 8000 तीर्थया़त्री दर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले विगत शुक्रवार को भी सरकार की ओर से इस मामले को न्यायमूर्ति आरएसी खुल्बे की अगुवाई वाली युगलपीठ के समक्ष उठाया गया लेकिन तब अदालत ने सुनने से इनकार कर दिया था और नियमित पीठ के समक्ष उठाने को कहा था। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कहा कि वे सोमवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष रखेंगे और तीर्थयात्रियों के संख्या पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग करेंगे। उल्लेखनीय है कि 16 सितम्बर को उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा पर लगी रोक को कुछ प्रतिबंधों के साथ हटा दिया था। अदालत ने चारों धामों में भी तीर्थयात्रियों की संख्या पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। बदरीनाथ में 1000, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 तीर्थयात्रियों को ही प्रतिदिन दर्शन की अनुमति दी गयी थी।