हरिद्वार । राज्यपाल उत्तराखण्ड लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने शुक्रवार को शान्तिकुंज, हरिद्वार में 125 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का मंत्रोच्चारण के बीच उद्घाटन किया। राज्यपाल का शान्तिकुंज परिसर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह इसके पश्चात देव संस्कृति विश्वविद्यालय, गायत्रीकुंज पहुंचे, जहां उन्होंने महाकाल के मन्दिर में पूजा-अर्चना की तथा आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात महामहिम राज्यपाल ने शौर्य दीवार पर अमर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, गायत्रीकुंज के मृत्योंजय सभागार में स्वर्ण जयन्ती व्याख्यान माला का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर मंत्रोच्चारण के बीच किया।
इस अवसर पर बोलते हुये राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय, गायत्रीकुंज विद्या, ज्ञान, संस्कृति का केन्द्र है। इस पवित्र स्थान पर पहुंचना मेरा सौभाग्य है। मुझे प्रभु ने मौका दिया है। उन्होंने युग पुरूष पं. श्रीराम शर्मा आचार्य को स्मरण करते हुये कहा कि उन्होंने ब्रह्माण्ड की गहरी सोच से हमें अवगत कराया। वे हमारे लिये प्रेरणा स्रोत व मार्गदर्शक हैं। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने नमस्कार के महत्व का उल्लेख करते हुये कहा कि कोविड-19 के दौरान हमने इसका महत्व समझा। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति ने जो ज्ञान दिया है, वह अब काम आ रहा है।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज हमारी आन-बान-शान का प्रतीक है। यह हमारे लिये प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि मैं प्रण करता हूं कि अपना हर पल राष्ट्र के प्रति लगाऊंगा। उन्होंने कहा कि हम सबके लिये राष्ट्र सर्वोपरि है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा प्राणों से भी बढ़कर है। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न स्थानों में राष्ट्रीय ध्वज प्रयोग करने के नियमों का भी विस्तृत उल्लेख किया तथा राष्ट्रीय ध्वज के नियमों का कड़ाई से पालन करने को कहा।
भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हुये राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति उच्चादर्शों का ध्यान कराती है। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति को विश्व की प्राचीनतम संस्कृति का दर्जा मिला है। उन्होंने कहा कि देव संस्कृति विश्व विद्यालय हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है। मैं विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूं तथा यह विश्वविद्यालय हमारी संस्कृति को और भी ऊंचाईयों पर ले जायेगा। उन्होंने कहा कि आपने जो लक्ष्य रखा है, उसे प्राप्त करें तथा देश की ख्याति को पूरे विश्व में बढ़ायें। उन्होेने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय आज भारतीय संस्कृति को जीवित रखने में सहायक हो रहा है तथा सामजिक दायित्वों के प्रति भी विश्वविद्यालय गंभीर है। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का आह्वान करते हुये कहा कि आप उत्तराखण्ड की धरती पर ज्ञान व जीवन मूल्यों का पाठ सीख रहे हैं तथा इस सैनिक धाम, तपोभूमि का नाम पूरे विश्व में करेंगे तथा प्रदेश के विकास में भी आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये प्रति कुलपति देसंविवि डाॅ. चिन्मय पाण्डया ने कहा कि उत्थान के लिये पुरूषार्थ आदि की आवश्यकता होती है। उन्होंने इस अवसर पर देश को आजाद कराने में जिन वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया, उनके जीवन मूल्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जल्दी ही हम इस विश्वविद्यालय में भारत माता का मन्दिर भी प्रतिष्ठित करने जा रहे हैं। समारोह को सम्बोधित करते हुये कुलाधिपति देसंविवि डाॅ. प्रणव पाण्डया ने कहा कि सन्त, सुधारक तथा शहीद तीन अवतारों की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा कि अवतार कुछ अच्छा करने के लिये होता है। उन्होंने कहा कि 18 करोड़ लोग इस संगठन के पूरे विश्व में फैेले हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन इतिहास में लिखा जायेगा कि एक सैनिक ने 125 फीट ऊंचे तिरंगे को फहराया।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह ने ई-न्यूज लेटर का भी विमोचन किया। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(से.नि.) गुरमीत सिंह को इस मौके पर अखिल विश्व गायत्री परिवार की ओर से स्मृति चिह्न, गंगाजलि एवं साहित्य भेंट किया गया। इस अवसर पर जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाॅ. योगेन्द्र रावत, अपर जिलाधिकारी पीएल शाह, सिटी मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय सहित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पदाधिकारीगण, सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।