उत्तराखंड

बड़ी संख्या में धर्म बदलने को तैयार उत्तराखंड के दलित

acr468-562fbc108424b27frdp12_3572816-Copy_c1_CMYविश्व बौद्ध संघ उत्तराखंड विशेषकर जौनसार बावर के दलितों को बौद्ध धर्म की दीक्षा देगा। इसके लिए बौद्ध मिशनरी युद्धस्तरीय अभियान चलाएगी।

अगले एक वर्ष में 100 से अधिक परिवारों को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का लक्ष्य है। घोषणा की गई है कि उत्तराखंड में बुद्ध की वाणी गुंजायमान करने के लिए मिशनरी भाव से महाभियान चलाया जाएगा और कालसी स्थित शिलापट्ट से सम्राट अशोक के बताए रास्ते पर चलकर लोगों की संस्कृति बदली जाएगी।

देहरादून में घंटाघर स्थित डॉ. अंबेडकर पार्क में डॉ. भीमराव अंबेडकर के 60वें परिनिर्वाण दिवस पर त्रिरत्न बौद्ध महासभा के कार्यक्रम में विश्व बौद्ध संघ के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय विद्वान आरबीके बौद्ध ने कहा कि देश के दूसरे हिस्सों की तरह उत्तराखंड में दलितों पर अत्याचार हो रहा है।

जौनसार बाबर क्षेत्र में दलितों पर अत्याचार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां दलितों के साथ क्रूर व्यवहार किया जा रहा है। उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। सामाजिक और आर्थिक तौर पर उन्हें पशुवत रखा गया है।

ऐसे में विश्व बौद्ध संघ व त्रिरत्न बौद्ध महासभा मिलकर एक-एक दलित को बौद्ध दीक्षा दिलाएंगे। उत्तराखंड में व्याप्त सामाजिक, धार्मिक कुरीतियों पर बेहद आक्रामक होते हुए वे बोले कि यहां पोंगापंथी का जोर है।

कार्यक्रम आयोजक आरएल कर्दम ने कहा कि जौनसार में उनके अनुसूचित जाति होने का लाभ उच्च जाति के लोग उठा रहे हैं। बौद्ध मिशनरी गुरुजी ब्रह्मचारी बोधिसागर ने कहा कि समूचे उत्तराखंड में हम बुद्ध वाणी को गूंजाएंगे।

मिशनरी मंजुला गौतम ने जानकारी दी कि प्रदेश में दस दलित परिवार 22 अक्तूबर को बौद्ध धर्म की दीक्षा ले चुके हैं। अब एक साल में 100 परिवारों को बौद्ध धर्म का हिस्सा बनाने का लक्ष्य है।

धर्मचारिणी मेदनावादिता ने बताया कि ऊंची जातियों की बर्बरता ने समाज को तोड़ दिया है। आरवी सिंह का कहना था कि बुद्ध की वाणी पुरोहितवाद को समाप्त कर देगी। कार्यक्रम में संतलाल बौद्ध, रामशरण शौर्य, सतेंद्र चोपड़ा, रविंद्र कुमार समेत बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी मौजूद थे।

उनके बुनियादी मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में दलितों को बौद्ध धर्म अपना लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि समूचे उत्तराखंड में बौद्ध धर्म का परचम फहराए जाने की रणनीति तैयार कर ली गई है। बुद्ध और अंबेडकर के रास्ते ही उत्पीड़न, शोषण, अत्याचार, भेदभाव और विषमता का जवाब दिया जा सकता है।

 

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