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ट्रेन में पत्‍नी की मौत पर पति ने TWEET कर प्रधानमंत्री से मांगी मदद

tweet-rajhaniचंडीगढ़. हरियाणा एक घटना कैसे आपकी पूरी जिंदगी को बदल सकती है. इसका ताजा उदाहरण हरियाणा में देखने को मिला है.

दरअसल, राजधानी एक्सप्रेस में एक पति-पत्नी सफर कर रहे थे. अचानक पत्‍नी को ट्रेन में ही हार्ट अटैक आ गया. अपनी पत्‍नी की जान बचाने के लिए पति ने काफी दौड़-भाग की. इलाज के लिए यहां-वहां भटका. लेकिन उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली. पत्‍नी ने ट्रेन में ही तकरीबन डेढ़ घंटे तड़पने के बाद दम तोड़ दिया.

पति ने काफी कोशिश की, लेकिन वह कुछ नहीं कर सका. उसने अपनी अर्धांगिनी, अपने जीवन साथी को अपनी ही आंखों के सामने जान गंवाते देखा. इसके बाद पति ने फैसला लिया कि वह प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और रेलवे प्रशासन से अवगत कराएगा. ताकि वे ऐसे लोगों की पीड़ा समझ सकें जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और ट्रेन में सफर करने को मजबूर भी हैं.

पति ने पीएमओ पर ट्वीट कर राजधानी जैसी ट्रेनों में डॉक्टर और उपचार की व्यवस्था करने की बात कही है. उन्‍होंने कहा कि सरकार या रेलवे ऐसा सिस्टम तैयार करें, जिससे आपात स्थिति में किसी को अकाल मौत का शिकार होना पड़े.

आपको बता दें कि सफर के दौरान पत्नी की तड़प-तड़पकर मौत होने से व्यथित आजाद सिंह ने व्यवस्था में सुधार की मांग की है. उन्होंने बेटे बिजेंद्र सिंह के अकाउंट से पीएमओ के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर पीएम को ट्वीट किया है. उसमें लिखा है कि राजधानी जैसी ट्रेनों में ऐसी व्यवस्था की जाए, ताकि कोई और इलाज के अभाव में असमय मौत का शिकार हो सके.

हरियाणा के सेक्टर-1 निवासी आजाद सिंह (66) पत्नी रोशनी देवी (64) के साथ केरल घूमने गए. एक नवंबर की रात 7:30 बजे वे त्रिवेंद्रम से राजधानी एक्सप्रेस में दिल्ली के लिए रवाना हुए. तीन नवंबर को दोपहर 2:30 बजे कोटा (राजस्थान) से निकले ही थे कि रोशनी देवी को हार्ट अटैक गया. आजाद सिंह ने रेल स्टाफ को सूचित कर इलाज के लिए ट्रेन में अनाउंस भी कराया.

आजाद सिंह का आरोप है कि करीब डेढ़ घंटे तक वे मदद के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन इलाज नहीं मिल सका. पलवल से कुछ ही दूर पहले आजाद सिंह के पांव के नीचे से उस समय जमीन निकल गई जब देखते ही देखते उनकी पत्नी ने दम तोड़ दिया. सब कुछ अपनी आंखों के सामने होता देख फिर भी वे पता नहीं क्यों उम्मीद की आखिरी किरण के साथ अपनी मृत पत्नी के साथ पलवल उतर गए और जैसे तैसे, हांफते दौडते, वहां के सिविल अस्पताल पहुंच गए. और यहां पर भी उन्हें उनकी उम्मीद के खिलाफ ही खबर मिली.

यहां के डॉक्टरों ने भी उनकी पत्नी को मृत घोषित कर दिया. आजाद सिंह का कहना है कि राजधानी में डाक्टरी मदद के अभाव में उन्होंने अपनी पत्नी को खो दिया. यदि समय रहते उन्हें इलाज मिल जाता तो शायद उनकी पत्नी आज उनके जीवन में होती. उन्हें यकीन है कि उनकी पत्नी को बचाया जा सकता था यदि रेलवे का सिस्टम मानवीय होता तो. यदि उन्‍हें समय रहते रेलवे से कोई मदद मिल जाती तो आज उनकी जीवन संगिनी उनके साथ होती.

 

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