पसीने की गंध के लिए एक एंजाइम जिम्मेदार
लंदन: मानव के शरीर से निकलने वाले पसीने की अपनी कोई गंध नहीं होती है, बल्कि इसके लिए एक खास तरह का एंजाइम जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों ने इसे बीओ एंजाइम नाम दिया, जिसके कारण ही पसीने से गंध आती है। यॉर्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसपर रिसर्च की। इस दौरान पाया गया कि पसीने के कारण बांहों के नीचे बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। उनसे एक खास तरह का एंजाइम निकलता है, जो गंध की वजह होता है। इसे समझने के लिए ये देखा गया कि गंध कैसे बनती है। इस बारे में एक रिपोर्ट में सीनियर माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर गेविन थॉमस ने पूरी प्रक्रिया समझाई। वे बताते हैं कि इंसानी शरीर से निकलने वाले पसीने की गंध को थियोअल्कोहल कहते हैं। ये खुद-बखुद पसीने से नहीं निकलती। बल्कि इसकी वजह होते हैं वे बैक्टीरिया जो पसीने से पैदा होते हैं और शरीर में ही अपना भोजन खोजते हैं। इसी दौरान एंजाइम्स निकलते हैं, जिससे गंध आती है।वैसे तो शरीर के दूसरे हिस्सों से भी पसीना आता है लेकिन उससे ऐसी गंध नहीं आती है।
खास अंडरआर्म्स से तेज गंध की वजह वहां के खास बैक्टीरिया हैं, जिन्हें स्टेफीलोकोक्कस होमीनीस कहते हैं। जब वे आर्मपिट से निकलने वाले पसीने, जिसे सीवायएस-जीएलवाय-3एम3एसएच कहते हैं, में आहार खोजते और खाना शुरू करते हैं जो गंधरहित पसीना गंधयुक्त हो जाता है। वैसे इंसानी शरीर में दो तरह की पसीने की ग्रंथियां होती हैं। पहले तरह की ग्रंथियों को एक्राइन कहते हैं। ये पूरे शरीर में होती हैं। यही वो सिस्टम है जो शरीर का तापमान संतुलित रखता है। दूसरी तरह की ग्रंथियों को एप्रोक्राइन ग्लैंड कहते हैं। ये वहां खुलती हैं, जहां बाल होते हैं। ये जननांगों के साथ अंडरआर्म्स में भी पाई जाती हैं।
इनके काम के बारे में भी खास जानकारी नहीं है। वैज्ञानिक मानते हैं कि कूलिंग सिस्टम में ही ये भी काम करते होंगे। इसमें वैज्ञानिकों ने विस्तार से बताया है कि कैसे अंडरआर्म्स में स्टेफीलोकोक्कस बैक्टीरिया पसीने को अपने आहार में बदलते हैं, जिसके कारण थियोअल्कोहल बनता है। यही वो गंधयुक्त पसीना है, जिसे दूर करने के लिए लोग डिओ या परफ्यूम लगाते हैं। असल में हमारी नाक थियोअल्कोहल के लिए काफी संवेदनशील होती है और इसकी हल्की सी भी गंध खटकने लगती है। यही वजह है कि पसीने की गंध दूर से भी पता लग जाती है। अब इस रिसर्च की मदद से पसीने को खत्म किए बगैर उसकी गंध दूर करने के तरीके खोजे जा रहे हैं। इसके लिए एक निजी कंपनी की मदद ली जा रही है ताकि वे ही बैक्टीरिया दूर किए जा सकें जो बीओ एंजाइम पैदा करते हैं, वहीं बाकी बैक्टीरिया को कोई नुकसान न पहुंचे।
इस तरह का डियो बनाया जा सके तो वो स्किन के लिए भी कोई समस्या नहीं पैदा करेगा। इस बारे में टीम लीड थॉमस बताते हैं कि अगर ऐसा डियो बन सके जो सिर्फ स्टेफीलोकोक्कस होमीनीस बैक्टीरिया को टारगेट करे तो सबसे बढ़िया होगा। इससे उन बैक्टीरिया को खतरा नहीं होगा जो शरीर की सेहत के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिकों ने इस स्टेफीलोकोक्कस होमीनीस बैक्टीरिया के जेनेटिक रिलेशन्स को भी देखने की कोशिश की। इस दौरान पाया गया कि ये अकेला नहीं, बल्कि इस प्रजाति के अंदर दर्जनों बैक्टीरिया हैं।