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दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने को केजरीवाल ने बुलाई आपात बैठक सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र को हालात संभालने को कहा

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता भी गंभीर श्रेणी में है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 499 पर पहुंच गया है। हालात को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आज आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और दिल्ली के मुख्य सचिव हिस्सा लेंगे। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को कहा कि पराली के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आपातकाल निर्णय लिए जाने की जरूरत है। मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से निवेदन कर रहा हूं। मुझे लगता है दिल्ली के नागरिक सोशल मीडिया के जरिए केंद्रीय मंत्री से आपातकाल बैठक बुलाकर कोई निर्णय लेने को आग्रह करें। केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचे नहीं और चुप्पी न साधे।

दिल्ली में हवा बिगड़ने से लोगों का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है, इसके चलते बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों की अधिक परेशानियां हो रही हैं और अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। प्रदूषण पर चिंता जताते हुए दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के एमडी डॉ. सुरेश कुमार ने आज कहा कि प्रदूषण का स्तर बड़ी चिंता का विषय है। इससे बुजुर्गों, स्कूल जाने वाले बच्चे, वे मरीज जिन्हें सांस की तकलीफ है या वे मरीज जिन्हें पहले कोविड हो चुका है, उनकी समस्या बढ़ गई है। हमारे वार्ड में ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है। डॉ. सुरेश ने कहा कि हमारे यहां 10-15 प्रतिशत मरीजों में बढ़ोतरी हुई हैं। इनमें सांस की तकलीफ के मरीजों की संख्या ज्यादा है। दीपावली के बाद ऐसे बच्चे आ रहे हैं, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

वहीं, दिल्ली में वायु प्रदूषण से बिगड़ते हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। शनिवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आपको इस मुद्दे को राजनीति और सरकार से परे देखना होगा। कुछ ऐसा होना चाहिए जिससे दो-तीन दिन में हम बेहतर महसूस करें। कोर्ट ने याचिका पर आगे की सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तारीख तय करते हुए केंद्र से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कोर्ट को सूचित करने को कहा है। दिल्ली के आसमान में जहरीली धुंध छाई हुई है और वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 499 दर्ज किया गया। खराब वायु गुणवत्ता से स्वास्थ्य संबंधी खतरों को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने शुक्रवार को लोगों को बाहरी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों से वाहनों के उपयोग में कम से कम 30 प्रतिशत की कटौती करने को कहा है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता आपातकालीन स्तर की ओर बढ़ गई है। चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के प्रदूषण में इसका योगदान 35 प्रतिशत रहा और शाम चार बजे तक 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 471 दर्ज किया गया।

एक्यूआई गुरुवार को 411 था। ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) पर एक उप समिति के अनुसार 18 नवंबर तक प्रदूषकों के फैलने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी और संबंधित एजेंसियों को ‘आपात’ श्रेणी के तहत कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक सुबह 10 बजे 473 दर्ज किया गया। सफर के अनुसार, दिल्ली में लोधी रोड, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटी दिल्ली, पूसा रोड-1 और दिल्ली हवाईअड्डे का वायु गुणवत्ता सूचकांक क्रमश: 489, 466, 474 और 480 और 504 दर्ज किया गया। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।

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