IAS सीके अनिल और IPS रत्न संजय ने दबोचा था शहाबुद्दीन का गिरेबान
मोतिहारी. बिहार दो सगे भाइयों को तेजाब से नहालकर मौत के घाट उतारने वाले राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को शुक्रवार को उम्रकैद या फांसी की सजा सुनाई जा सकती है.
इस घटना के समय शहाबुद्दीन भले ही जेल में था, लेकिन उसके नाम मात्र से पूरा सीवान कांप जाता था. ऐसे में हरेक के जेहन में सवाल उठना लाजमी है कि भला इस बाहुबली नेता को किस अधिकारी ने काबू में लिया और इस गंभीर वारदात में आरोपी बनाने की हिम्मत जुटाई. शहाबुद्दीन के भय के साम्राज्य को तहस-नहस करने का श्रेय आइएएस सीके अनिल और आईपीएएस रत्न संजय को जाता है.
तेजाब कांड की वारदात के समय सीके अनिल सीवान के डीएम थे और रत्न संजय कटियार एसपी थी. इन्हीं दो जांबाज अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ शहाबुद्दीन के प्रतापपुर स्थित घर पर छापेमारी की थी.
शहाबुद्दीन के घर से मिले थे पाकिस्तानी हथियार
एसपी रत्न संजय और डीएम सीके अनिल की संयुक्त छापेमारी में शहाबुद्दीन के घर से पाकिस्तान में बने हथियार बरामद हुए थे. इतना ही नहीं उसके घर से बरामद एके-47 राइफल पर पाकिस्तानी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के छाप (मुहर) लगे थे. ये हथियार केवल पाकिस्तानी सेना के लिए होते हैं.
इस बाहुबली नेता के घर से अकूत जेवरात और नकदी के अलावा जंगली जानवरों शेर और हिरण के खाल भी बरामद हुए थे.
इस छापेमारी के बाद उस वक्त के डीजीपी डीपी ओझा ने शहाबुद्दीन के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से संबंध होने की बात स्वीकारी थी. साथ ही इसे साबित करने के लिए सौ पेज की रिपोर्ट पेश की थी. शहाबुद्दीन के इस काले कारनामे पर से पर्दा हटाने वाले ओझा का तत्कालीन बिहार सरकार ने तुरंत से तबादला कर दिया था.
मालूम हो कि 2001 में भी बिहार पुलिस शहाबुद्दीन के गिरेबान तक पहुंचने की कोशिश में उसके प्रतापपुर वाले घर पर छापेमारी की थी, लेकिन अंजाम बेहद दुखद हुआ था. शहाबुद्दीन के गुर्गों ने बेखौफ होकर पुलिस पर फायरिंग की थी. करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से हुई इस गोलीबारी में तीन पुलिस वाले मारे गए थे. इसके बाद पुलिस को खाली हाथ बैरंग लौटना पड़ा था. इस संगीन वारदात के बाद भी शहाबुद्दीन के खिलाफ कोई मजबूत केस नहीं बनाया गया था.
पुलिस को जड़ दिया था थप्पड़
2001 में राज्यों में सिविल लिबर्टीज के लिए पीपुल्स यूनियन की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई के दौरान शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी.
2001 में ही पुलिस जब राजद के स्थानीय अध्यक्ष मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ एक वारंट तामील करने पहुंची थी तो शहाबुद्दीन ने गिरफ्तारी करने आए अधिकारी संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था. शहाबुद्दीन के सहयोगियों ने पुलिस वालों की जमकर पिटाई कर दी थी.