नई दिल्ली: सिंघु बॉर्डर खाली होने लगा है। किसान अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं। केंद्र सरकार से औपचारिक पत्र मिलने के बाद किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही करीब एक साल से चले आ रहे किसान आंदोलन का सफल पटाक्षेप हो गया। आइए सिलसिलेवार ढंग से जानते हैं कि किसान आंदोलन में कब-कब क्या हुआ।
यही वह तारीख थी जब किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन शुरू किया। हालांकि इसकी भूमिका काफी पहले से बननी शुरू हो गई थी। 4 सितंबर को सरकार ने संसद में किसान कानूनों संबंधी ऑर्डिनेंस पेश किया। 17 सितंबर को यह ऑर्डिनेंस लोकसभा में पास हो गया। इसके बाद 20 सितंबर को राज्यसभा में भी इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।
इसके बाद ही देशभर में किसान मुखर होने लगे। 24 सितंबर को पंजाब में तीन दिन के लिए रेल रोको आंदोलन शुरू हुआ। वहीं 25 सितंबर को ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी की पुकार देशभर के किसान दिल्ली के लिए निकल पड़े। उसी साल 25 नवंबर को देशभर में नए किसान कानूनों का विरोध शुरू हो गया। पंजाब और हरियणा में दिल्ली चलो मूवमेंट का नारा दिया गया।