इंफाल: पड़ोसी नागालैंड में 4 दिसंबर को सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हो गए, जिसके बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम (अफस्पा), 1958 को निरस्त करना आगामी दिनों में एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है। मणिपुर में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ भाजपा के दो महत्वपूर्ण सहयोगियों- नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के बाद मणिपुर में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने शनिवार को पूर्वोत्तर राज्य से अफस्पा को वापस लेने की मांग की।
एनपीपी और एनपीएफ ने हाल ही में ‘कठोर’ कानून को निरस्त करने की अपनी मांग दोहराई थी, क्योंकि इसने पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद को नियंत्रित करने के लिए ‘किसी भी तरह से मदद’ नहीं की थी।
मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने शनिवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से संसद के चल रहे शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अफस्पा को निरस्त करने के लिए दबाव बनाने का आग्रह किया।
उन्होंने मीडिया से कहा, “मणिपुर कैबिनेट को पूरे राज्य से अफस्पा को तत्काल हटाने के लिए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।”
मेघचंद्र ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पहले मणिपुर के सात विधानसभा क्षेत्रों से अफस्पा हटा दिया था।
कांग्रेस नेता ने कहा, “अगर 2022 के चुनावों में कांग्रेस सत्ता में वापस आती है, तो पहली कैबिनेट बैठक में पूरे मणिपुर राज्य से अफस्पा को तत्काल और पूरी तरह से हटाने का फैसला किया जाएगा।”
विधानसभा चुनावों के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है, राजनीतिक दल मणिपुर में प्रचार में व्यस्त हैं, जिसमें भाजपा, कांग्रेस, एनपीपी और अन्य शामिल हैं।
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा अक्टूबर के बाद से तीन बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने कई चुनावी रैलियों को संबोधित किया है। जबकि गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार राज्य का दौरा किया और चुनावों पर नजर रखते हुए एक समारोह को संबोधित किया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश, एनपीपी अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा और कई अन्य राजनेताओं ने भी महत्वपूर्ण चुनावों के लिए अभियान शुरू करने के लिए चुनावी राज्य का दौरा किया है।
60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा के लिए अगले साल फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा के साथ चुनाव होने की संभावना है।
चुनाव आयोग ने राज्य में चुनाव कराने के लिए कई तरह की कवायद भी शुरू कर दी है।
सत्तारूढ़ भाजपा 2017 से एनपीपी और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के समर्थन से सरकार चला रही है, जिसका मणिपुर और नागालैंड दोनों में संगठनात्मक आधार है।
15 वर्षो के बाद, 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस को 2017 में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सत्ता से बाहर कर दिया गया था। भगवा पार्टी ने 21 सीटें हासिल की थीं। इसने एनपीपी के चार विधायकों, चार एनपीएफ सदस्यों, तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाई।