विजयवाड़ा: यह महज एक गलत प्रचार है कि जजों की नियुक्ति जज करते हैं, जबकि यह पूरा सच नहीं है। इस प्रक्रिया में बहुत सी संस्थाएं शामिल होती हैं और न्यायपालिका केवल इसका हिस्सा भर है। यह बात जस्टिस रमन्ना ने रविवार को विजयवाड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही। जस्टिस रमन्ना पांचवें श्री लावु वेंकाटेवारलू एंडॉवमेंट लेक्चर के दौरान भारतीय न्यायपालिका और भविष्य की चुनौतियां विषय पर विजयवाड़ा के सिद्धार्थ लॉ कॉलेज में लेक्चर दे रहे थे।
सांसद ने कही थी यह बात
गौरतलब है कि हाल ही में केरल के सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा था कि जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की बात कहीं और नहीं सुनी जाती। वह संसद में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजों के वेतन और सेवा शर्तों से जुड़े संशोधन विधेयक के दौरान चर्चा में शामिल थे। द ट्रिब्यून के मुताबिक जस्टिस रमन्ना ने अपने संबोधन में इस बात की तरफ इशारा किया। उन्होंने कहाकि जजों की नियुक्ति में केंद्रीय कानून मंत्रालय, राज्य सरकारें, राज्यपाल, हाई कोर्ट कॉलेजियम, इंटेलीजेंस ब्यूरो और सर्वश्रेष्ठ एग्जीक्यूटिव शामिल होते हैं। उन्होंने कहाकि इसके बावजूद ऐसी धारणा बना दी गई है जो एक वर्ग विशेष को पसंद आती है।
न्यायपालिका पर बढ़े हमलों को लेकर चिंता
जस्टिस रमन्ना ने हाल के दिनों में न्यायपालिका पर बढ़े हमलों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहाकि हाल के दिनों में ऐसे हमलों की संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहाकि अब अगर लोगों को मनोवांछित फैसले नहीं मिलते सोशल और प्रिंट मीडिया में जजों के खिलाफ कैंपेन चलाए जाते हैं। जस्टिस रमन्ना ने इन्हें प्रायोजित बताया। साथ ही उन्होंने कहाकि न्यापालिका को और ज्यादा स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहाकि इसे सिर्फ न्यायालयों के प्रति ही जवाबदेह होना चाहिए। इस दौरान जस्टिस रमन्ना ने अधिक जजों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार की भी तारीफ की।