चीन बढ़ा सकता है भारत की परेशानी, कर्ज में दबा श्रीलंका 2022 में हो सकता है दिवालिया
कोलंबो: श्रीलंका में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद यह देश गहरे वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. पिछले करीब दो साल से पूरी दुनिया में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस की वजह से भी हिंद महासागर के इस बेहद रणनीतिक महत्व वाले मुल्क को बेहद नुकसान उठाना पड़ा है, जिसने इसे आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया है. यहां के लोग एक तरफ जहां बढ़ती महंगाई से परेशान है, तो दूसरी ओर चीन से मिली उधारी को लेकर श्रीलंकाई सरकार पर कर्ज का बोझ दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.
दरअसल, श्रीलंका की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया, तो यह जल्द दिवालिया हो सकता है. विशेषज्ञों की मानें, तो श्रीलंका की इस हालत का चीन ना सिर्फ फायदा उठाएगा, बल्कि उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ भी कर सकता है. यह समझा जा रहा है कि श्रीलंका अपनी आर्थिक हालत को सुधारने में नाकाम रहता है, तो चीन को वहां की नीतियों में दखल करने का मौका मिल जाएगा, जिसका सबसे अधिक नुकसान भारत को उठाना पड़ सकता है.
महंगाई की वजह से श्रीलंका में बढ़ रहा है वित्तीय संकट
श्रीलंका में खाद्य कीमतें आसमान छू रही हैं जिसके कारण उसके खजाने समाप्त हो रहे हैं. इसी के साथ आशंका है कि 2022 में श्रीलंका दिवालिया हो सकता है. ये जानकारी द गार्जियन की रिपोर्ट से सामने आई है. रिपोर्ट में कहा गया कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व में सरकार मंदी, कोरोना संकट के तत्काल प्रभाव और पर्यटन के नुकसान का सामना कर रही है, लेकिन उच्च सरकारी खर्च और कर कटौती से राज्य के राजस्व में कमी, विशाल ऋण चुकौती एक जटिल समस्या बन गई है.
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 10 साल में सबसे नीचे
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुच गया हैं. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने जब नवंबर 2019 में देश का पदभार संभाला था, उस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर था, जो कि 2021 के अंत तक गिरकर 2.5 बिलियन डॉलर ही रह गया है. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी ने विदेशी कर्ज चुकाने के मद्देनजर श्रीलंका की चिंता को और बढ़ा दिया है. श्रीलंका पर सबसे अधिक चीन का 5 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. चीन के अतिरिक्त जापान और भारत से भी श्रीलंका ने कर्ज लिया हुआ है.
श्रीलंका का हंबनटोटा बंदरगाह चीन के पास
हालांकि श्रीलंका के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब चीन से मिला भारी-भरकम कर्ज है. कर्ज नहीं चुका पाने के एवज में श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 100 साल के पट्टे पर देना पड़ा था. इतना ही नहीं, हंबनटोटा पोर्ट के साथ ही 15000 एकड़ जमीन भी चीन ने हथिया ली. इसमें भी सबसे अहम बात यह है कि श्रीलंका ने चीन को जो जमीन सौंपी है, भारत से उसकी दूरी महज 100 मील है. विशेषज्ञ इसे भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा करार देते हैं.
महामारी की शुरुआत के बाद से 5 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे
इस बीच, सरकार द्वारा घरेलू ऋणों और विदेशी बांडों का भुगतान करने के लिए नोट छापने से मंहगाई को और बढ़ावा मिला है. विश्व बैंक का अनुमान है कि महामारी की शुरुआत के बाद से 500,000 लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में मंहगाई 11.1 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई और बढ़ती कीमतों के कारण लोग अब अपने परिवारों का पेट पालने में भी अक्षम हो गए हैं.