वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ यहां के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा लेकर दोनों देशों के बीच के पारंपरिक सांस्कृतिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा।
दोनों नेताओं ने दशाश्वमेध घाट पर करीब 45 मिनट बिताए और गंगा आरती देखी। गंगा नदी के किनारे हर शाम गंगा आरती का भव्य आयोजन होता है। मोदी ने इससे पहले कहा था कि संस्कृति और लोग किसी रिश्ते में जान ला देते हैं।
आबे ने फूलों से सुंदर तरीके से सजाए गए घाट का जो दौरा किया वह इस वजह से काफी अहम है, क्योंकि यह क्योटो और वाराणसी के बीच हुए साझेदार शहर समझौते की पृष्ठभूमि में किया गया। पिछले साल अगस्त में पीएम मोदी की जापान यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने इस समझौते पर दस्तखत किए थे।
श्लोकों की गूंज के बीच मोदी और आबे ने नदी किनारे फूलों और एक गुलाब की माला का अर्पण किया। दोनों नेताओं की करीब चार घंटे की वाराणसी यात्रा के लिए करीब 7,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। अमूमन खचाखच भरे रहने वाले घाट की सुरक्षा का जिम्मा सेना और नौसेना ने अपने हाथों में ले लिया था, जबकि अस्थायी मंच के चारों ओर एनडीआरएफ के स्कूबा गोताखोरों को तैनात किया गया था। एसपीजी के जवान मंगलवार से ही शहर में डेरा डाले हुए थे। नेशनल सिक्युरिटी गार्ड, आतंकवाद निरोधक दस्ते, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस एसपीजी की मदद कर रहे थे।
बाबतपुर हवाई अड्डे से दशाश्वमेध घाट तक के 22 किलोमीटर लंबे रास्ते में दोनों प्रधानमंत्रियों के स्वागत वाले बैनर-पोस्टर लगाए गए थे। कुछ पोस्टरों में जापानी लिपि में भी संदेश लिखे गए थे। दोनों प्रधानमंत्री शाम करीब 6:30 बजे घाट पर पहुंचे। घाट पर दोनों नेताओं का स्वागत ‘हर हर महादेव’ के नारों के साथ किया गया। वाराणसी में लोगों के अभिवादन का यह परंपरागत तरीका है। पीएम मोदी कुछ सेकंड तक घाट की सीढ़ियों पर खड़े रहे और लोगों का अभिवादन किया। लोग ‘मोदी मोदी’ के नारे लगा रहे थे।
इसके बाद दोनों नेता घाट की अंतिम सीढ़ी तक गए और वहां करीब 10 मिनट खड़े रहकर गंगा और भागीरथ का अभिषेक किया। भारतीय पौराणिक शास्त्रों में भागीरथ को वह राजा माना गया है, जिसने गंगा नदी को धरती पर लाने का काम किया था।
मोदी और आबे इसके बाद अपनी सीटों पर बैठे और नौ पुजारियों एवं ‘रिद्धियों एवं सिद्धियों’ का रूप धरे 18 लड़कियों की ओर से की जा रही गंगा आरती के दर्शन किए। गंगा आरती के दौरान आबे ने अपना कैमरा निकाला और तस्वीरें ली। भक्ति गीतों की गूंज के बीच दोनों प्रधानमंत्री खड़े हुए और गंगा आरती के समापन तक खड़े रहे। इसके बाद दोनों ने एक बार फिर अपने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया। घाट से प्रस्थान करने से पहले आरती के आयोजकों की ओर से दोनों नेताओं को स्मृति चिह्न भेंट किया गया।