अंधेरी रात में उजाले के सूरज बनकर चमके जंग हिंदुस्तानी
बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद के वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई तो पूरे वन क्षेत्र के लोगों की जुबान पर सिर्फ एक ही नाम था वह नाम था जंग हिंदुस्तानी का। वन ग्रामों का इतिहास और भूगोल बदलने वाले इस युवा ने अपने धैर्य और साहस से 17 साल तक सदियों से वंचित शोषित पीड़ित और केंद्र तथा राज्य सरकार की योजनाओं से कोसों दूर वन निवासियों के लड़कर उन्हें आजादी का एहसास दिला दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी की, जिन्होंने अपनी क्षमताओं का एहसास जनपद के बड़े-बड़े नेताओं को करा दिया है। जंग हिंदुस्तानी एक प्रसन्न चित्त मिजाज के व्यक्ति हैं बाहर से जितना सरल दिखते हैं उससे कहीं अधिक अनुशासन के प्रति कठोर।
जंग हिन्दुस्तानी का पूरा नाम जंग बहादुर सिंह है इनका पैतृक गांव कटघरा कला है तथा वर्तमान निवास का गाँव बहराइच जिले के दक्षिण 35किलोमीटर दूर ग्राम बसौना है । इन्हें बचपन से ही सामाजिक कार्यों में बहुत रुचि थी और प्रकृति से बहुत लगाव था । इनका जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था।सायटिका बीमारी के कारण स्नातक की पढाई पूरी नहीं कर सके किंतु स्वाध्याय लगातार जारी रहा। दो साल तक बिस्तर पर रहने के बाद स्वस्थ होने पर रेडक्रास से जुडकर सामाजिक कार्य करने लगे। इसी दौरान वर्ष 2005 में वनग्रामों के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई तो बच्चों पर कार्य करने वाली संस्था क्राई के बाल अधिकार परियोजना से जुड़े। इस दौरान उनको वनवासियों की समस्याओं को करीब से देखने का मौका प्राप्त हुआ। उन्हें लगा कि देश की आजादी के साठ साल बाद भी अभी इस क्षेत्र को आजाद होने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है । ये क्षेत्र बहराइच जनपद की सर्वाधिक दूरी पर स्थित मिहिनपुरवा विकासखंड में भारत नेपाल की सीमा पर घने जंगल के अंदर है।
बहराइच जिले से 100 किलोमीटर दूर होने के कारण केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं इन तक नहीं पहुंच पाती थी तथा वन भूमि पर बसे होने के कारण इन्हें कोई सरकारी सुविधा नहीं प्राप्त हो पाती थी । पक्की सडक, पक्के आवास, पक्का विद्यालय, राशन कार्ड ,परिवार रजिस्टर, निवास प्रमाण पत्र तथा सभी सरकारी दस्तावेज इनके लिए एक सपने के समान थे।इनके बच्चों को जन्म प्रमाण पत्र तक नहीं मिलता था । इसका एक मात्र कारण यह था कि यह किसी राजस्व ग्राम की अंतर्गत नहीं आते थे । ये गांव वन विभाग के नियन्त्रण में बसे हुए वनमजदूर के गाँव थे जो वानिकी कार्योँ के लिए बाहर से लाकर बसाए गए थे। इस नाते वन विभाग इन्हे अतिक्रमण कारियों की श्रेणी में रखता था और आए दिन बेगार लेने के साथ-साथ इनको हाथी लाकर उजाड़ने का प्रयास भी करता रहता था। इन्होने पूरी समस्याओं को देखा और घर से 135 किलोमीटर दूर वन क्षेत्र में रहकर के बच्चों का संगठन बनाकर लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने का कार्य शुरु किया । स्थानीय लोगों के सहयोग से वर्ष 2005 में शुरू हुआ वन अधिकार आंदोलन धीरे-धीरे मजबूती के साथ बढ़ता चला गया । इस दौरान जंग हिन्दुस्तानी और उनके कई साथियों को वन विभाग ने तमाम मुकदमों में फसाया तथा जेल भी भेजा । 40 दिन तक जेल में रहने के बाद वापस लौट कर पुनः वन अधिकार आंदोलन के कार्य में लग गए और हार नहीं मानी ।
वन अधिकार कानून 2006 के तहत 2009 में 1007 लोगों के उनके अधिभोगाधीन कृषि एवं निवास की भूमि पर मालिकाना हक लेने के लिए दावेदारी कराने में सफल रहे। शुरुआत में 6 वनग्रामों के 1254 ने लोगों ने दावा किया था जिसमें 122 दावों को ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति ने अपात्र मान कर निरस्त कर दिया था। इस के बाद शेष बचे 885 में 275 दावेदारों को उनके कब्जे की भूमि पर मालिकाना हक दिया गया शेष दावोँ पर अधिकार देने की मुहिम चल रही है क्योंकि इस कानून में 2005से पूर्व तीन पीढ़ी अर्थात 70 वर्ष के साक्ष्य देने की बाध्यता है । इस नाते इन लोगों के पास झोपड़ी में निवास होने के कारण कोई साक्ष्य मौजूद नहीं था। काफी प्रयास के बाद जंग हिन्दुस्तानी द्वारा सूचना अधिकार कानून 2005 के तहत बहुत सारे साक्ष्य निकाले गए और उन को प्रस्तुत कर के लोगों को क्रमशः अधिकार दिलाने जाने का कार्य किया जा रहा है । संविधान में वर्णित कोई भी मौलिक अधिकार इन वन क्षेत्र के निवासियों को प्राप्त नहीं हो पा रहा था लेकिन जागरुकता का स्तर बढ़ता गया और लोगों को अधिकार मिलने लगे। पूरे आंदोलन का मार्गदर्शन अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन ने किया ।
22 दिसंबर 2021 को जंग हिंदुस्तानी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से गोरखपुर में उनके आवास पर मिले और उन्होंने बहराइच जनपद के वनग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किए जाने की पत्रावली पर कार्यवाही के लिए अनुरोध किया। सीएम योगी के निर्देश पर मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में 3 जनवरी 2022 को बैठक आहूत की गई जिसमें वन ग्रामों को राजस्व ग्राम किए जाने का निर्णय किया गया। 7 जनवरी 2022 को जिला अधिकारी बहराइच ने वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में परिवर्तित किए जाने की सूचना पढ़कर सुनाई तो इसके बाद जंग हिंदुस्तानी को मिलने वाली बधाइयों और सम्मान का तांता लग गया।वननिवासियों के लिए समर्पित तथा घर परिवार छोड़कर पिछले 17 वर्षों से वनवासी जीवन व्यतीत करने वाले जंग हिंदुस्तानी का मानना है किअभी बहुत लड़ाई बाकी है तथा सभी लोगों को उनके अधिकारों पर निरंतर जागरूक करते रहना है ताकि प्रत्येक वन निवासी तक वन अधिकार कानून का लाभ पहुंच सके।
नेपाल का महाभूकंप-2015 हो या फिर लाक डाउन के दौरान मजदूरों की घर वापसी का मामला हो, जंग हिंदुस्तानी ने सीमित संसाधनों में असीमित कार्य करके दिखाया है है जिसे विभिन्न संस्थाओं के द्वारा प्रमाणित और प्रशंसा पत्र भी निर्गत किए गए हैं। बिना किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी सहयोग के ,मात्र जनता के द्वारा दिए गए सहयोग से पिछले 17 वर्षों तक लगातार जनसेवा करने की जो मिसाल जंग हिंदुस्तानी ने प्रस्तुत की है वह अपने आप में अद्भुत है।