वॉटर बर्थ, बच्चे को नैचरल तरीके से जन्म देने का तरीका
अक्षय कुमार की फिल्म देसी बॉयज में काम कर चुकी ब्राजिलियन ऐक्ट्रेस और मॉडल ब्रूना अब्दुल्लाह ने अगस्त 2019 में वॉटर बर्थ के जरिए बच्चे को जन्म दिया। इस बात को उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया था। अब बॉलिवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन भी मां बनने वाली हैं और वो भी वॉटर बर्थ तकनीक के जरिए अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं। वॉटर बर्थ तकनीक लोगों को क्यों आ रही है रास, जानिए आप भी…
नेचरल है यह तकनीकबॉलिवुड ऐक्ट्रेस कल्कि कोचलिन जल्द ही मां बनने वाली है, जिसकी खबर उन्होंने खुद एक इंटरव्यू द्वारा दी थी। कल्कि ने खुद इस बात का खुलासा किया है कि वो गोवा में वॉटर बर्थ तकनीक के जरिए अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं। उनका मानना है कि यह तकनीक नेचरल है और वह अपने बच्चे को पैदा करने के लिए नेचरल चीजों पर ही विश्वास करती हैं। ब्राजीलियन एक्ट्रेस ब्रूना अब्दुल्लाह ने भी अपने बच्चे को वॉटर बर्थ तकनीक द्वारा ही जन्म दिया था। उस समय उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि वह हमेशा से बच्चे को जन्म देने के लिए ऐसा माहौल चाहती थीं, जहां उसे कम से कम दर्द हो। वह नहीं चाहती थीं कि उनको दी जाने वाली दवाओं का असर बच्चे पर हो।
दर्द होता है 50 फीसदी कम
वॉटर बर्थ तकनीक में लेबर पेन के दौरान प्रेग्नेंट लेडी को पानी से भरे पूल या टब में बैठा दिया जाता है और वहीं डिलीवरी करवाई जाती है। ग्यानेकॉलजिस्ट अनुजा भुटानी बताती हैं कि पानी के भीतर होने के कारण महिला की बॉडी में एंड्रोफिन हार्मोन ज्यादा मात्रा में रिलीज होता है, जिससे दर्द कम होता है। वह बताते हैं कि अगर गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाए, तो इसमें दर्द इतना कम हो जाता है कि महिला को पेन किलर देने की जरूरत 50 फीसदी कम हो जाती है।
टिश्यू हो जाते हैं सॉफ्ट
वॉटर बर्थ डिलिवरी के लिए एक गुनगुने पानी का बाथिंग पूल बनाया जाता है, जिसमें तकरीबन 300 लीटर से लेकर 500 लीटर तक पानी भरा जाता है। इस पूल का टेंपरेचर एक जैसा रखने के लिए इस पर कई वॉटर प्रूफ उपकरण लगा दिए जाते हैं। खासतौर से इन्फेक्शन को रोकने के लिए। यह पूल तकरीबन ढाई से तीन फीट का हो सकता है। यह महिला के शरीर के अनुसार एडजस्ट हो सकता है। लेबर पेन शुरू होने के तीन से चार घंटे के बाद महिला को इसमें ले जाया जाता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, नॉर्मल डिलिवरी से कम समय में इस प्रॉसेस से बच्चा पैदा हो जाता है। अगर तरीका सही तरह से फॉलो किया जाए, तो बच्चा पैदा करने के लिए वॉटर बर्थ डिलिवरी एक सही ऑप्शन है।
मां और बच्चा रहते हैं इन्फेक्शन फ्री
वॉटर बर्थ तकनीक में मां और बच्चे को इन्फेक्शन होने का खतरा 80 फीसदी कम हो जाता है। इसमें ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे न तो मां को और न ही बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है। यही नहीं, महिला इस दौरान पानी में रहती है, जिससे टेंशन, एंग्जायटी भी नहीं होती और खास बात ये कि ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
बच्चे को मिलता है गर्भ जैसा माहौल
हॉलैंड में हुए एक सर्वे के मुताबिक, डॉक्टर्स का भी मानना है कि नॉर्मल और सिजेरियन की तुलना में वॉटर बर्थ बेहतर है। खास बात ये है कि यह तकनीक बच्चे को मां के गर्भ जैसा माहौल भी देती है। पानी के कारण बच्चे के शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है, जिससे प्रोसेस आसान हो जाता है। खास बात यह कि इस प्रोसेस में बच्चे को ऐसा फील होता है कि मानों वह मां के पेट में ही है। उसके गलत मूव करने के चांस भी कम हो जाते हैं। नॉर्मल प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भनाल और बच्चे का गलत मूवमेंट करने जैसी जो प्रॉब्लम्स आती हैं, वह इस डिलीवरी के दौरान कम हो जाती है।
ऐसे होती है तैयारी
वॉटर बर्थ डिलीवरी में महिला का तनाव नॉर्मल डिलीवरी से 60 फीसदी कम रहता है। डॉक्टर्स का कहना है कि नॉर्मल डिलीवरी में बच्चा पैदा होने के दौरान योनि में बेहद खिंचाव होता है, जो वॉटर बर्थ के दौरान कम हो जाता है, क्योंकि गर्म पानी के संपर्क में आने से टिश्यू बहुत सॉफ्ट हो जाते हैं। यही वजह है कि इस तकनीक में महिला को दर्द कम होता है, जिससे वह तनाव में भी कम आती है।
-नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले, इस तकनीक में प्रसव के दौरान महिलाओं को कम दर्द झेलना पड़ता है। दरअसल, गर्म पानी एक पेनकिलर की तरह काम करता है, जिससे इस दौरान दर्द कम होता है।
-इसमें प्रसव पीड़ा (लेबर पैन )को प्रेरित करने की जरूरत नहीं पड़ती।
-इस तकनीक से बच्चे का जन्म कम समय में हो जाता है।
-वॉटर बर्थ के समय कोई दवा लेने की जरूरत नहीं है। जिससे साइड इफेक्ट का बोझ भी नहीं झेलना पड़ता है।
-गर्म पानी मांसपेशियों को आराम देता है और ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन को बढ़ाता है। इससे बच्चे की डिलीवरी जल्दी हो जाती है।