नई दिल्ली. भारत ने जापान के साथ शनिवार को सिविल न्यूक्लियर डील की। कुछ देर बाद ही उसने वॉर्निंग दी कि अगर भारत न्यूक्लियर टेस्ट करेगा तो हमें आगे सोचना पड़ेगा। जापान का यह बयान ऐसे वक्त आया जब भारत के 10 और देशों के साथ पहले से ही ऐसे करार हैं। हालांकि, जापान को उम्मीद है कि भारत न्यूक्लियर टेस्ट नहीं करेगा।
जापान ने क्या कहा?
– जापानी सरकार में प्रेस सेक्रेटरी यासुहिसा कवामरुरा से शनिवार रात पूछा गया कि अगर भारत टेस्ट करता है तो जापान का रिएक्शन क्या होगा?
– इसके जवाब में उन्होंने कहा, ”आप बताएं हमें क्या करना चाहिए? अगर भारत टेस्ट करता है और अपने वादे से मुकरता है तो यह लाजिमी है कि जापान भी अपने कोऑपरेशन का रिव्यू करेगा।”
– इसके जवाब में उन्होंने कहा, ”आप बताएं हमें क्या करना चाहिए? अगर भारत टेस्ट करता है और अपने वादे से मुकरता है तो यह लाजिमी है कि जापान भी अपने कोऑपरेशन का रिव्यू करेगा।”
– यह करार इस बात की गारंटी देता है कि भारत न्यूक्लियर एनर्जी के शांतिपूर्ण इस्तेमाल की अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।
न्यूक्लियर डील पर क्या बोले मोदी?
जापान के साथ न्यूक्लियर डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच हुई सिविल न्यूक्लियर डील केवल कारोबार और क्लीन एनर्जी का करार नहीं है, बल्कि यह शांतिपूर्ण और सुरक्षित दुनिया के लिए भरोसे और रणनीतिक भागीदारी के नए मुकाम का प्रतीक है।’’
16 करार पर साइन
शनिवार को भारत और जापान के बीच न्यूक्लियर डील, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट और डिफेंस सेक्टर में कुल 16 करार हुए। जापान के पीएम शिंजो आबे तीन दिनों के भारत दौरे पर शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। इस दौरान ही इन करार को अंजाम दिया गया।
बिजनेस समिट में जापान के पीएम आबे ने क्या कहा?
– मोदी की पॉलिसीज हाई स्पीड ट्रेन की तरह सेफ, भरोसेमंद और कई लोगों को एक साथ लेकर जाने की ताकत रखती हैं।
– मजबूत भारत मेरे देश जापान के लिए अच्छा है और मजबूत जापान भारत के लिए अच्छा है।
और किन देशों से भारत की न्यूक्लियर डील है?
– अमेरिका- 2005 (123 एग्रीमेंट)
– फ्रांस – 2008
– रूस – 2009
– मंगोलिया- 2009
– नामीबिया – 2009
– कनाडा – 2010
– अर्जेंटीना, ब्रिटेन, कजाकिस्तान और साउथ कोरिया के साथ भी भारत का न्यूक्लियर एग्रीमेंट है।
– फ्रांस – 2008
– रूस – 2009
– मंगोलिया- 2009
– नामीबिया – 2009
– कनाडा – 2010
– अर्जेंटीना, ब्रिटेन, कजाकिस्तान और साउथ कोरिया के साथ भी भारत का न्यूक्लियर एग्रीमेंट है।
– 54 साल पहले यहां क्वीन एलिजाबेथ आई थीं।
– यहां दो पीएम की मौजूदगी से वाराणसी को टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट करने में मदद मिलेगी।
– इससे भारतीय संस्कृति की दुनिया में शोकेसिंग में मदद मिलेगी।
– इनमें दशाश्वमेध घाट की सबसे ज्यादा अहमियत है।
– माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने काशी के इसी घाट पर आकर दस अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।
– आधुनिक इतिहास में काशी नरेश ने यहां बड़े पैमाने पर गंगा आरती शुरू कराई।
– ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान से ज्यादा पुण्य गंगा आरती का साक्षी बनने से मिलता है।