अखिलेश यादव चंद्रशेखर रावण से गठबंधन पर बोले – राजी होकर पलट गए, कोई साजिश लगती है…
लखनऊ: चंद्रशेखर आजाद रावण की पार्टी से गठबंधन न होने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा है कि इसके पीछे कोई साजिश लगती है। उन्होंने लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने चंद्रशेखर आजाद से बातचीत में उन्हें दो विधानसभा सीटें देने की बात कही थी। मेरे से मुलाकात के दौरान वह इस पर राजी हो गए थे। लेकिन फिर बाहर आकर उन्होंने पता नहीं कहां बात की और कहा कि हम दो सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकते। दिल्ली में बात की या फिर कहां बात की, पता नहीं। अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी के चुनाव के लिए बड़ी-बड़ी साजिशें हो रही हैं। अखिलेश यादव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘समाजवादी पार्टी ने अपने गठबंधन में लोगों को साथ लेने के लिए त्याग किया है। हम भाजपा को हराने के लिए जो भी त्याग जरूरी होगा हम करेंगे। मैंने चंद्रशेखर जी को सीटें दी थीं। यदि वह भाई बनकर मदद करना चाहें तो करें। इतिहास भी उठाकर देखो तो पता लगेगा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर जी और डॉ. राम मनोहर लोहिया साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। पहली बार सदन में कांशीराम जी को हमारे गृह जनपद इटावा से भेजा गया था।’ इसलिए हमारी मंशा साफ है और हम सभी को साथ लेने के लिए तैयार हैं।
हम भाजपा के बाद जारी करेंगे अपना घोषणा पत्र
अपने घोषणा पत्र के बारे में पूछने पर अखिलेश यादव ने कहा कि हम भाजपा के बाद अपना मेनिफेस्टो रिलीज करेंगे। पहले भाजपा यह बताए कि उनके राज में सूबे के कितने शहर स्मार्ट सिटी बन गए हैं। अखिलेश यादव ने किसानों को लेकर भी कहा कि हम उनके हितों के लिए पूरे प्रयास करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा, ‘समाजवादी पार्टी और हमारे गठबंधन के साथियों ने संकल्प लिया है कि किसानों पर अत्याचार करने वाली भाजपा को हटाएंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि यह हमारा अन्न संकल्प है। हम अपने कार्यकर्ताओं से अपील करते हैं कि वह इसका पालन करें।’
भाजपा की सरकार से ज्यादा उत्पीड़न तो अंग्रेजों ने भी नहीं किया
उन्होंने कहा कि भाजपा ने वोट के दबाव में कृषि कानूनों को वापस लिया है। भाजपा के नेता, उनके मंत्री और कार्यकर्ता चुनाव आचार संहिता का जगह-जगह उल्लंघन कर रहे हैं। भाजपा हजारों करोड़ रुपये की रकम जानवरों की रखवाली के नाम पर खर्च कर चुकी है। लेकिन अब तक सरकार नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जो अन्नदाताओं पर मुकदमे लगे हैं, उन्हें वापस लिया जाएगा। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को सरकार बनने के बाद 25 लाख रुपये की राहत दी जाएगी। अंग्रेजों की सरकार में भी ऐसा जुल्म नहीं हुआ होगा, जैसा भाजपा की सरकार में हुआ। जलियांवाला बाग में अंग्रेजों ने सीने पर गोली चलाई और लखीमपुर में भाजपा नेताओं ने आंदोलन के बाद शांतिपूर्ण वापस लौट रहे किसानों पर पीछे से गाड़ी चलाई।