सुप्रीम कोर्ट का राज्य सरकारों को निर्देश, कोरोना से मौत पर मुआवजे के लिए नियुक्त किए जाएं नोडल अधिकारी
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी से मरने वालों के परिजनों को एक तय अवधि के दौरान मुआवजा देने की प्रक्रिया तेज करने के लिए शुक्रवार को राज्य सरकारों को आदेश दिये। न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने राज्यों से कहा कि वे कोविड-१९ से हुई मौतों का पूरा ब्योरा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) को उपलब्ध कराएं ताकि मुआवजा देने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके तथा पात्र परिवारों को रकम शीघ्र दी जाए। न्यायालय ने इसके लिए सभी राज्यों को एक-एक नोडल अधिकारी( जो उप सचिव स्तर से नीचे का न हो) नियुक्त करने को कहा है।
पीठ ने कहा, अगर एसएलएसए के सदस्य -सचिव को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, तो वह राज्य द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी से संपर्क कर मदद ले सकते हैं।ज्ज शीर्ष अदालत ने राज्यों द्वारा बड़ी संख्या में मुआवजे से संबंधित दावों को खारिज करने के संदर्भ में जोर देकर कहा कि तकनीकी तौर पर किसी भी दावे को खारिज नहीं किया जाना चाहिए तथा त्रुटिपूर्ण आवेदनों के मामले में आवश्यक सुधार का अवसर दिया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों से कहा कि आवेदन ऑफलाइन हो या ऑनलाइन, सभी का निपटारा योग्यता के आधार पर विचार करें। अदालत ने कहा कि सभी राज्यों को दावों से संबंधित आवेदन प्राप्त होने के १० दिनों के भीतर निपटाते हुए मुआवजे का भुगतान करने के लिए हर संभव प्रयास करें। शीर्ष अदालत ने कहा कि बाल स्वराज पोर्टल पर अपलोड की गई जानकारी के संदर्भ में एसएलएसए को पूर्ण विवरण आज से एक सप्ताह के अंदर प्रदान करने का निर्देश दिया।
पीठ ने ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त मुआवजे के दावों से संबंधित आवेदनों को कथित तौर पर खारिज करने पर महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की तथा खारिज किए गए दावों के संदर्भ में एक सप्ताह के भीतर समीक्षा कर पूरा विवरण सदस्य-सचिव (एसएलएसए) को निर्धारित समय के भीतर सभी उपलब्ध कराने को कहा। वकील गौरव कुमार बंसल ने जनहित याचिका दायर कर कोविड -१९ से मरने वाले लोगों के परिजनों को समुचित मुआवजा देने का आदेश देने की गुहार लगाई है।