सरकार के आदेश के बाद छह राज्यों में तेल-तिलहन पर लगी स्टाक लिमिट खत्म
भोपाल। केंद्र सरकार ने बीते साल खाने के तेल और तिलहन की स्टाक लिमिट तय कर दी थी। खाने की तेल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था। अब सरकार ने ताजा आदेश जारी करते हुए छह तिलहन उत्पादक राज्यों में तेल-तिलहन पर स्टाक सीमा का बंधन हटा दिया है। इनमें चुनावी राज्य भी शामिल है। दरअसल रबी फसलों की आवक शुरू हो गई है। इस साल सरसों के रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। ऐसे में सरकार रबी फसल की तिलहनों की आवक शुरू होने से पहले भाव में भारी गिरावट रोकने की कोशिश करती दिख रही है। यदि आवक बढऩे से दाम घटे तो स्टाक लिमिट को जिम्मेदार मानते हुए सरकार पर दोष मढ़ा जाएगा।
सरकार किसानों के हित और चुनाव का ध्यान रखते हुए फसलों की कीमतें नहीं गिरने देना चाहती। लिहाजा अब छह उत्पादक राज्यों में स्टाक सीमा हटाने का आदेश जारी कर दिया है। आदेश का असर सिर्फ बिहार, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान में रहेगा। ये सभी सरसों का अच्छा उत्पादन करते हैं। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा है कि पिछले 8 अक्टूबर 2021 को लागू स्टाक लिमिट अन्य राज्यों में 30 जून तक प्रभावी रहेगी। इन छह राज्यों को इस आदेश से मुक्त रखा गया है। यानी इन राज्यों में स्टाक लिमिट हटा दी गई है। देश के बाकी राज्यों में स्टाक लिमिट लागू रहेगी। खाद्य तेल की स्टाक लिमिट रिटेल विक्रेताओं के लिए 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल और बिग रिटेल चेन आउटलेट के लिए 30 क्विंटल और डिपो के लिए 1000 क्विंटल की है।
तिलहन की स्टाक लिमिट खुदरा व्यापारियों के लिए 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 2000 क्विंटल की है। प्रोसेसर्स 90 दिनों की क्षमता का खाद्य तेल रख सकते हैं। वे 90 दिनों के उत्पादन के लिए तिलहन का स्टाक रख सकते हैं। सरकार के ताजा निर्णय से घरेलु बाजार में खाद्य तेलों में अच्छी डिमांड निकलने से भाव में तेजी रही। सोया तेल इंदौर सुधरकर 1280-1290 रुपये और पाम तेल इंदौर 1310 रुपये प्रति दस किलो पर पहुंच गया। सोयाबीन में भी प्लांटों की अच्छी लेवाली रहने से भाव में 50 रुपये की तेजी रही। प्लांट खरीदी भाव 6400-6450 रुपये प्रति क्विंटल तक बोले गए।