लॉकडाउन में घर में रह रहे सदस्य की जो दिनचर्या उससे ऊब गए है। बच्चे ही नहीं बड़े भी ऊब गए है। जिसकी वजह से परिवार रह रहे युवा बच्चों में चिड़चिड़ापन ज्यादा देखने को मिल रहा है। इस चिड़चिड़ापन से बचने के लिए कुछ खास बातें अपनाएं, जो उन्हें खुश रखेंगी और परिवार से उनका जुड़ाव भी बढ़ाएंगी-
लॉकडाउन के इस दौर में परिवार के टीनएजर बच्चों पर भी कम नकारात्मक असर नहीं हुआ है। लॉकडाउन के चलते वो अपनी सबसे प्यारी चीज से दूर हुए हैं- वो है दोस्त। अब दोस्तों संग खेल वगैरह तो हो नहीं रहे। ऐसे में उन्हें एडजस्ट करने में समस्या हो सकती है। उनकी चिड़चिड़ाहट या उदासी को समझने की कोशिश करें।ऊबने से बचने के लिएसबसे अच्छा है कि टीनएजर बच्चों को एक दिनचर्याबनाने को कहें।
इसमें दोस्तों संग चैटिंग भी शामिल हो और पढ़ाई के साथ-साथ एक्सरसाइज जैसे जरूरी काम भी शामिल करें।किशोर बच्चों की आदत होती है, वो अकसर अपनी जिज्ञासाएं, चिंताएं अपने मन में रखते हैं। तो उनसे आने वाले दिनों को लेकर उम्मीद भरी बातें करे और उनसे उनका नजरिया पूछें।परिवार के कामों में किशोर बच्चों की जिम्मेदारी भी निश्चित करें। ताकि वे सभी से जुड़े रहें और परिवार के बीच वे अपनी भूमिका को भी अहम महसूस करें।
अगर जॉइंट फैमिली है, तो परिवार के बुजुर्गों और छोटों से संबंधित काम उन्हें दें। इस तरह परिवार में पीढ़ियों की सोच के बीच का जो अंतर होता है, वो भी कम करने में मदद मिलेगी।आजकल चूंकि उनका अधिकतर समय ऑनलाइन ही गुजर रहा है, तो उन्हें ऑनलाइन सेफ्टी के रूल्स जरूर बताएं और साथ ही ऑनलाइन रहने का वक्त जरूर निर्धारित करें। उनकी रुचियों की चीजों को साथ एंजॉय करें।