CBI ने एनएसई मामले में इन तीन लोगों के खिलाफ जारी किया लुकआउट नोटिस
मुंबई । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण से पूछताछ करने के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एनएसई के एक पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) रवि नारायण से को-लोकेशन मामले में पूछताछ की है. सीबीआई ने पूर्व सीईओ रवि नारायण से पूछताछ की है, साथ ही रवि नारायण के लंदन में होने की खबरों का भी खंडन किया है. सीबीआई ने एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम और पूर्व सीईओ रवि नारायण के साथ, चित्रा रामकृष्ण पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. सूत्रों के मुताबिक, तीनों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.
एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ चित्रा रामकृष्ण पर कथित तौर पर ‘हिमालय में रहने वाले योगी’ के साथ नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में गोपनीय जानकारी साझा करने की जांच चल रही है. अधिकारियों के मुताबिक, एनएसई में 2010 से 2015 के बीच कथित अनुचित व्यवहार हुआ था. रवि नारायण मार्च 2013 तक एनएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ का पद संभाल रहे थे. चित्रा रामकृष्ण तब डिप्टी सीईओ थीं. उन्होंने रवि नारायण की जगह ली और दिसंबर 2016 तक एनएसई का नेतृत्व किया.
सूत्रों के अनुसार, सेबी (Securities and Exchanges Board of India) के हालिया निष्कर्षों के बाद सीबीआई ने कार्रवाई की है. सेबी ने 11 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि एनएसई में को-लोकेशन सुविधाओं के मुद्दे की जांच के दौरान, सेबी को कुछ सबूत मिले, जिससे पता चलता है कि नोटिस नंबर 1 (चित्रा रामकृष्ण) एनएसई की कुछ आंतरिक गोपनीय जानकारी एक अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा की थी. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई को को-लोकेशन मामले में चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण के खिलाफ नए सबूत भी मिले हैं.
सीबीआई का मामला एक स्टॉक ब्रोकर के खिलाफ है, जिसने कथित तौर पर एनएसई के सिस्टम में तब के शीर्ष अधिकारियों की मदद से छेड़छाड़ की थी, ताकि बाजार खुलने पर सबसे पहले ऐक्सेस मिल सके. सीबीआई ने मामले में एनएसई और सेबी के अज्ञात अधिकारियों के साथ संजय गुप्ता (ओपीजी सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर), अमन कोकराडी उनके बहनोई और डेटा क्रंचर और शोधकर्ता अजय शाह को आरोपी बनाया था.
को-लोकेशन एक ऐसा सेटअप है जिसमें ब्रोकर का कंप्यूटर उसी क्षेत्र में रखा जाता है जहां स्टॉक एक्सचेंज का सर्वर होता है. इससे बाकियों की तुलना में ब्रोकर को तेज गति मिलती है. जिस ब्रोकर का कंप्यूटर एनएसई के सर्वर रूम में रखा जाता है, उसे बाकी ब्रोकरों से पहले मार्केट फीड का एक्सेस मिल जाता है, जिससे उन्हें भारी मुनाफा होता है. सीबीआई मामले में, ब्रोकर संजय गुप्ता के पास कथित तौर पर एनएसई की को-लोकेशन सुविधा का एक्सेस था. जिसने उनकी फर्म ओपीजी सिक्योरिटी प्राइवेट को काफी फायदा हुआ था.