पेट में होने वाले घावों को अल्सर कहते है। इसके दिक्कत से बहुत लोगों को बहुत ज्याद परेशानी होती है। जब ये परेशानी गर्मी के दिनों में हो तो और पेट में घाव हो जाएं तो ऐसे समय में में व्यक्ति को खाना और पानी पीना में बहुत परेशानियां आती है। पेट में अल्सर हमारे शरीर में बढ़े हुए अम्ल के वजह से होता है, अगर हम ऐसी चीजों को कहते है जो पेट में एसिड बनाती हैं या ज्यादा गर्म तासीर वाली होती हैं, तो अल्सर होने का खतरा हो सकता है। आइए आपको बताते है किन लक्षणों से पहचान सकते हैं अल्सर की बीमारी को, और क्या है बचाव और इसका इलाज-
इस होते है लक्षण:-
जिस व्यक्ति को अल्सर की समस्या होती है वह कुछ भी खा या पी नहीं पाता है। कुछ भी खाते समय तेज जलन और चुभन महसूस होती है।
पेट में अल्सर और अधिक एसिड बनने से खट्टी डकारे आती हैं। घावों की वजह से पेट में तेज दर्द होता है। कमजोरी आने लगती है, कुछ भी खाने पर उल्टी हो जाती है।अल्सर के रोगी को पानी तक नहीं पी पाता है। चाहे ठोस हो या तरल कुछ भी खाते समय आहार नाल में तेज जलन और दर्द होती है।अल्सर दो तरह का होता है, गैस्ट्रिक अल्सर, डुओडिनल अल्सर, दोनों अल्सर पेट के अलग-अलग हिस्सों में होते हैं। गैस्ट्रिक अल्सर में पेट में घाव बन जाते हैं, तो वहीं आंत में बनने वाले घावों को डुओडिनल अल्सर कहा जाता है। अल्सर की स्थिति में आहार नाल में भी घाव बन जाते हैं।
इस वजह से होता है अल्सर:-
ज्यादा गर्म तासीर वाली चीजों का लगातार अत्यधिक सेवन करने से अल्सर की समस्या हो सकती है तो वहीं ज्यादा एसिड बनाने वाली चीजों का डायट में शामिल होना भी पेट में घाव दे सकता है। कभी-कभी ज्यादा दवाईयां लेने से पेट में एसिड बनने लगता है, जिससे पेट या आंतों में घाव हो जाते हैं। कुछ बैक्टीरिया भी अल्सर होने का कारण बनते हैं। युवाओं में अल्सर होने का मुख्य कारण सिगरेट पीना, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करना होता है।
इस तरह से करे अल्सर का बचाव:-
अल्सर से बचाव करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने खाना-पान में बदलाव लाएं। ऐसी चीजों के ज्यादा सेवन से बचें जो पेट में एसिड बनाती हैं। ज्यादा गर्म तासीर की चीजों का लगातार सेवन न करें। सुपाच्य और संतुलित भोजन का सेवन करें क्योंकि ज्यादातर अल्सर होने का कारण हमारी डाइट ही होती है।
इलाज:-
पेट में घाव होने की प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर से कंसल्ट करे । वह कुछ ऐसी दवाईयां देंगे जो आपके शरीर में अम्ल की मात्रा को कम करेंगी और आपके घावों को ठीक करेंगी। आप डॉक्टर के परामर्श से डाइट चार्ट भी बनवा सकते हैं। लेकिन जिन लोंगो में यह समस्या गंभीर हो जाती है, एंडोस्कोपी के माध्यम से उनका ऑपरेशन किया जाता है।