19 साल में बजट में शामिल सड़क, पुल, पुलिया बनने की जानकारी जुटा रही सरकार
भोपाल: लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों के विरुद्ध पिछले सात सालों में हुई विभागीय और ईओडब्ल्यू व लोकायुक्त जांच का मामला विधानसभा में गूंजेगा। इस मामले में विधायकों द्वारा किए गए सवाल के बाद विभाग ने जिलों से जानकारी मांगी है। इसके साथ ही एक जनवरी 2015 से अब तक निर्माण कार्य का ठेका लेने वाली कंपनियों द्वारा की गई अनियमितता के मामले में भी शासन से जानकारी चाही गई है। इसमें ठेकेदार के विरुद्ध की गई कार्यवाही और ब्लैकलिस्ट किए जाने की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है।
विधानसभा सत्र शुरू होने के पहले विभागों में विधायकों द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी को लेकर कई अधिकारियों में बेचैनी है। हालात यह हैं अकेले लोक निर्माण विभाग के कामकाज को लेकर सैकड़ों सवाल किए गए हैं। एक विधायक ने रीवा संभाग में रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली जिलों में 2015 से वर्ष 2021 के बीच अधीक्षण यंत्री द्वारा दी गई 89 करोड़ के काम की स्वीकृति के मामले में करप्शन के आरोप लगाते हुए विधानसभा के माध्यम से सरकार से जानकारी तलब की है। इस मामले में जिम्मेदारी अधिकारियों के विरुद्ध साल दर साल की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी देने के लिए कहा गया है।
पीआईयू के काम को लेकर एक विधायक ने पूछा है कि 2016 से 2021 तक पीआईयू द्वारा कितने भवनों की निविदा किन-किन जिलों में जारी की गई? जिला वार पूरे हुए भवनों की जानकारी दी जाए। इंदौर और भोपाल में 2020-21 में कितने भवनों में काम कराए जा रहे हैं और उसमें एजेंसी कौन है, इसकी भी जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही चालू साल में भोपाल संभाग में भवनों के उन्नयन कार्य और खर्च की जानकारी शासन से मांगी गई है। इंदौर में अधूरे कामों को लेकर जानकारी चाही गई है।
एक विधायक ने पूछा है कि जो कार्य बजट में प्रस्तावित होते हैं, उन्हें पूरा करने की समय सीमा होती है क्या? और जोे सड़क पुल बजट में शामिल होते हैं, क्या उन सभी के प्रस्ताव एसएफसी की बैठक में रखकर प्रशासकीय स्वीकृति जारी कराना अनिवार्य होता है। विधायक के अनुसार अगर ऐसा होता है तो भिंड जिले के 2003 से अब तक बजट में शामिल सड़क, पुल, पुलियों की जानकारी दी जाए और यह बताया जाए कि कितने बन गए हैं और कितने नहीं बन सके हैं?