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वित्त मंत्री जेटली ने बताया कीमतें कम नहीं होने का क्या है ‘गणित’

arun-jaitley-650_650x400_71449573924वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को यह स्पष्ट किया कि ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में आ रही गिरावट का लाभ देश में पूरी तरह से क्यों नहीं मिल पा रहा है। गौरतलब है कि इन दिनों ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें ग्लोबल लेवल पर 11 साल के सबसे निचले स्तर 40 डॉलर प्रति बैरल पर हैं, जबकि भारतीय बाजार में इसकी कीमत उतनी कम नहीं हो पा रही है।  

कीमतें कई बार कम किए जाने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतें तुलनात्मक रूप से ऊपरी स्तर पर बनी रहीं, क्योंकि सरकार ने कीमतों में कमी के साथ ही कई बार एक्साइज ड्यूटी भी बढ़ा दी।  

वित्त मंत्री जेटली ने स्पष्ट किया कि ईंधन की बिक्री से केंद्र को प्राप्त होने वाली एक्ससाइज ड्यूटी का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को जाता है, जबकि इसका बचा हुआ भाग विकास कार्यों में लगाया जाता है।

वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा, ‘ईंधन की लागत का एक हिस्सा विकास कार्यों में लगाया जाता है। खासतौर पर इसका उपयोग नेशनल हाईवे और ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए किया जाता है।’

जेटली ने आगे कहा कि पेट्रोल और डीजल की लागत का एक बड़ा हिस्सा वैट के रूप में होता है, जो राज्यों के खाते में जाता है, जबकि चौथा हिस्सा ऑयल कंपनियों को जाता है, क्योंकि उन्हें ग्लोबल मार्केट से क्रूड खरीदने के लिए काफी घाटा उठाना पड़ता है।  

उन्होंने कहा कि ऑयल कंपनियों ने इसे 80 डॉलर के रेट से खरीदा था, वहीं बिक्री के समय इसकी कीमतें 60 डॉलर पर आ गईं… एक समय पर ऑयल कंपनियों का घाटा 40, 000 करोड़ रुपए पर था।

वित्त मंत्री ने कहा कि कई वर्षों बाद सरकार इस स्थिति में पहुंची है कि वह बजटीय कटौती का सहारा लिए बिना ही राजकोषीय घाटे के लक्ष्य (जीडीपी का 3.9 प्रतिशत) को हासिल कर सकती है।

जेटली ने कहा, “यह पहली बार होगा, जब हम राजकोषीय घाटे (लक्ष्य) को बिना किसी वित्तीय कटौती के ही हासिल कर लेंगे।’

 

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