नई दिल्ली| लगभग हर तीसरा भारतीय किसी न किसी थायराइड विकार से पीड़ित है, जो अक्सर वजन बढ़ाने और हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है। एक अध्ययन के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता। इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि थायराइड हार्मोन अंगों के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक होते हैं। इनमें किसी भी तरह के असंतुलन से विकार पैदा होते हैं।
थायराइडउन्होंने कहा कि मुख्य रूप से थायरॉइड विकार दो प्रकार के होते हैं- हाइपरथायरायडिज्म जो एट्रियल फिब्रिलेशन, ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का कारण बन सकता है, और हाइपोथायरायडिज्म जो मायक्सेडेमा कोमा और मृत्यु का कारण बन सकता है। थायरॉइड समस्याओं का सबसे आम कारण ऑटोम्यून्यून थायराइड रोग (एआईटीडी) है। यह एक वंशानुगत यानी जेनेटिक स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी उत्पन्न करती है, जो या तो थायराइड ग्रंथियों को अधिक हार्मोन बनाने के लिए उत्तेजित करती है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों में वजन घटना, गर्मी न झेल पाना, ठीक से नींद न आना, प्यास लगना, अत्यधिक पसीना आना, हाथ कांपना, लगातार मल त्याग की इच्छा करना, दिल तेजी से धड़कना, कमजोरी, चिंता, और अनिद्रा शामिल हैं। हाइपोथायरायडिज्म में सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गति, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिकचक्र और इन्फर्टिलिटी के लक्षण दिखाई देते हैं।
उन्होंने आगे बताया, “सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड से गर्दन के निचले हिस्से में सूजन के साथ मौजूद थायराइड नोड्यूल का पता लग सकता है। बढ़ती हुई गर्दन से थायराइड कैंसर का पता चलता है, साथ ही निगलने में कठिनाई के साथ आवाज में बदलाव हो सकता है।”
कुछ सुझाव :
- स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए फाइबर से समृद्ध और कम वसा वाला आहार लें।
- कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करते रहने के लिए खुद को प्रेरित करें।
- तनाव से थायराइड विकारों को बढ़ने का मौका मिलता है, इसलिए तनाव के स्तर को कम करने के लिए कुछ प्रयास करिए। योग, ध्यान, नृत्य आदि से मदद मिल सकती है।
- यदि कैंसर का जोखिम है, तो कुछ-कुछ वर्षो में नोड्यूल का पता करने के लिए अपनी जीपी और टीएसएच स्तरों का परीक्षण करवाएं।