अद्धयात्म

हर साल क्यों आता है खर मास?

surya-1444474873खर मास के संबंध में भी एक कथा है। संस्कृत में खर गधे को कहा जाता है। माना जाता है कि सूर्य देव ने एक बार खर को अपने रथ में जोत लिया था। तभी से खर मास शुरू हो गया।
 
चूंकि सूर्य देव के रथ में सात घोड़े होते हैं, जिनसे वे अपने मार्ग पर भ्रमण करते हैं। सूर्य से ही संपूर्ण जगत में प्रकाश पहुंचता है। यदि वे कुछ क्षण भी रुक जाएं तो पूरा तंत्र बिगड़ सकता है। 
 
उनके रथ के घोड़े बिना विश्राम किए हमेशा दौड़ते रहते हैं। एक बार सभी घोड़ों को प्यास लगी, लेकिन सूर्य देव रथ को रोक नहीं सकते थे।
 
इससे संपूर्ण जगत की व्यवस्था त्रुटिपूर्ण हो सकती थी। चलते-चलते एक जलस्रोत आया। वहां दो खर पानी पी रहे थे। सूर्य देव ने अपने घोड़ों को पानी पीने के लिए खोल दिया और दोनों खरों को रथ में जोत लिया। घोड़े पानी पीने लगे।
 
उधर सूर्य देव का रथ चल पड़ा लेकिन दोनों खर सात घोड़ों जितने शक्तिशाली नहीं थे। इससे सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई। इसका प्रभाव पृथ्वी पर भी हुआ और सूर्य का तेज कम हो गया।
 
यह समय तब से खर मास कहलाने लगा। इस दौरान सूर्य का ताप बहुत कम हो जाता है और मकर संक्रांति के बाद ही सूर्य का तेज बढऩे लगता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति से सूर्य देव अपने रथ के सातों घोड़ों को रथ में पुन: जोतकर आगे बढ़ते हैं।
 
इस प्रकार पृथ्वी पर सर्दी कम होने लगती है। उसके बाद ही शुभ कार्यों का उद्घाटन होता है। खर मास में गीता, रामायण, हनुमान चालीसा आदि ग्रंथों के दान का विशेष महत्व है।
 

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