नई दिल्ली। एक नए शोध में दावा किया गया है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम करती है। इतना ही नहीं, हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर भी किया जा सकता है। ये रिसर्च अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में किया गया है। शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के मानसिक रोग में संबंध का अध्ययन किया। एमिलॉइड बीटा अल्जाइमर रोग का सबसे बड़ा कारक है।
अल्जाइमर एक न्यूरोडिजेनेरेटिव स्थिति है जिससे संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आती है और इससे पीड़ित शख्स को दैनिक जीवन के कार्य में भी समस्या का सामना करना पड़ता है। निष्कर्षों से पता चला है कि बुजुर्गो में बेचैनी बढ़ने के लक्षण एमिलॉइड बीटा स्तरों में वृद्धि के साथ जुड़े हो सकते हैं जो अल्जाइमर रोग के बढ़ने का एक प्रमुख कारक है।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कंपाउंड है। इस कंपाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है। शोधकर्ता ने कहा कि करक्यूमिन के सटीक प्रभाव का अभी पता नहीं चल सका है, लेकिन मस्तिष्क में सूजन कम करने वाला इसका गुण वजह हो सकता है।
मस्तिष्क में सूजन का संबंध अल्जाइमर और डिप्रेशन से होता है। यह निष्कर्ष याददाश्त संबंधी समस्या से पीड़ित 50 से 90 साल के 40 लोगों पर किए गए अध्ययन से निकाला गया। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 62 से 90 वर्ष के 270 बुजुर्गों की मानसिक क्षमता का करीब पांच सालों तक परीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला है।