अजब-गजब

कई बेटियों का घर बसा चुकी हैं राजकुमारी किन्नर, अनाथ बच्चों को देती हैं माँ का प्यार!

किन्नर सुनते ही शायद नाच-गाना और बधाई देकर पैसे लेने लेने वालों की तस्वीर आपके मन में आती होगी। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी किन्नर माँ के बारे में जो करीब 10 बच्चों का पालन पोषण अपने खर्च पर कर रही हैं।

झारखंड के बोकारो की रहने वाली यह किन्नर अपने इलाके में राजकुमारी किन्नर के नाम से लोकप्रिय हैं और लोगों के बीच सेवा-भाव की जीती जागती मिसाल के रुप में अपनी पहचान बना चुकी हैं। राजकुमारी किन्नर जहाँ एक ओर सैकड़ों अनाथ बच्चों को नया जीवन दे चुकी हैं तो वहीं कई गरीब और जरुरतमंदों की शादी का खर्च भी उठाती हैं। अनाथ बच्चों की सेवा, वृद्धों की सेवा, जरुरतमंदों को कपड़े एवं खाना बांटना, अनाथालय के बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च देना, ये चंद उदाहरण हैं जिन्हें राजकुमारी किन्नर पिछले कई सालों से कर रही हैं।

बोकारो के रितुडीह में लोग ऐसा मानते हैं कि राजकुमारी किन्नर के पास से कोई खाली हाथ और निराश नहीं लौटता, वह हर किसी की मदद करतीं हैं। वह अपनी कमाई का 75 फीसदी हिस्सा इन्हीं सेवा कार्यों में खर्च करती हैं और शेष राशि भी पालन पोषण कर रहे बच्चों की पढ़ाई एवं अन्य जरुरतों पर खर्च करती हैं। मोहल्ले में झगड़ा हो या घरेलू कलह, सभी मसलों को सुलझाने के लिए वह हाजिर रहती हैं। राजकुमारी ने पाँच अनाथ लड़कियों को पाला-पोसा और बड़ा किया और फिर शादी कर विदा भी कर चुकी हैं। आज वो पांचो बेटियां खुशी से अपना जीवन यापन कर रही हैं।

बचपन के दर्द ने बनाया राजकुमारी किन्नर मां

राजकुमारी किन्नर यूँ ही माँ नहीं बनीं। 10 साल की उम्र में बोकारो के चंद्रपुरा स्थित राजकुमारी के पैतृक घर से पिता ने लैंगिक कुप्रथा का हवाला देते हुए निकाल दिया था औऱ कभी भी दोबारा राजकुमारी का हाल-चाल लेने की कोशिश नहीं की। छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी चोट खाकर भी राजकुमारी संभली। दूसरों की मदद के लिए एक अब वह एक खुली किताब बन चुकी हैं जिसे हर जरुरतमंद पढ़कर अपनी ख्वाहिशों के आसमां को छू सकता है।

55 साल की राजकुमारी किन्नर बचपन की बातें साझा करते हुए उदास हो जाती है, आंखों में पानी उनकी दर्द की कहानी बयाँ कर जाता है। रुंधे गले से राजकुमारी बताती हैं, “10 साल की उम्र में एक किन्नर होने की वजह से मुझे जो झेलना पड़ा मैं नहीं चाहती की कोई और वह महसूस भी करे, यही वजह है कि मेरे पास हमेशा दर्जनों अनाथ बच्चे होते हैं और मैं उनका पालन-पोषण कर अपना धर्म निभाती हूँ। यही नहीं मेरे 8 बच्चे हैं जिनको मैंने पालन-पोषण कर बड़ा किया है।

ढलती उम्र में भी फौलादी इरादों वाली राजकुमारी किन्नर ने द बेटर इंडिया को बताया, “अपनी 5 लड़कियों की शादी कर कन्यादान का पुण्य भी कमा लिया है। ये बच्चियां सालों पहले मुझे लावारिस मिलीं थी। उनका दर्द मुझे झकझोर गया मैंने उनको हर सुख-सुविधा देकर उनका लालन-पालन किया। फिर जब बड़ी हो गईं तो उनकी शादी अच्छे घरों में कर दी। अब वो अपनी ससुराल में सुखी हैं। उनको खुश देख कलेजे को ठंडक मिलती है।

वहीं राजकुमारी किन्नर का बेटा शुभम जो अभी स्कूल में पढ़ाई करता है, उसे अपनी मां पर गर्व है। शुभम बताते हैं, “मैं बड़ा होकर अपनी मां की तरह समाज सेवी एवं दूसरों की मदद करने वाला बनना चाहता हूँ, मेरी मां ने आज तक हमलोगों को कोई कमी नहीं होने दी है और वह मोहल्ले में सबके झगड़ों को भी दूर करती हैं।”

किन्नर समाज ने भी राजकुमारी को किया परेशान

राजकुमारी किन्नर बताती हैं कि किन्नर समाज के लोगों ने भी उनका खूब विरोध किया कि वह अपना परिवार चला रही हैं जो किन्नर समाज के नियमों के खिलाफ है। परेशानियां लाख आईं लेकिन वह कभी झुकी नहीं क्योंकि प्यार एवं हौसला बांटने के लिए कष्ट तो उठाना पड़ता है।

वह कहती हैं, “आज मुझे गर्व है कि मैं सिर्फ दस बच्चों की माँ नहीं हूँ, मेरे परिवार में सैकड़ों लोग हैं जो मेरे घर पर रहकर अपने बुरे दौर को काट कर वापस नया जीवन शुरू कर चुके हैं। किन्नर समाज के लोगों ने मुझसे मेरी गली तक छीन ली उनके मुताबिक मुझे ये सब काम नहीं करना चाहिए ये समाज के नियमों के खिलाफ है। वहीं मेरी सोच अलग है, दूसरों का भला करने के लिए किसी समाज के नियम की जरुरत नहीं होती है। हम इंसान हैं और इंसान के काम आते रहेंगे।”

राजकुमारी आगे बताती हैं, “मेरे लिए सब कुछ मेरी गुरु दुलाली किन्नर थीं। बचपन से उन्होनें ही मुझे रास्ता दिखाया है, उन्होंने हमेशा लोगों की सेवा की सीख दी थी। उनकी नसीहतों पर चल रही हूँ और चलती रहूँगी।”

राजकुमारी के दरवाजे पर अगर कोई गरीब दंपत्ति बेटी की शादी के लिए मदद मांगने भी पहुंचता है तो वह हरसंभव मदद को तत्पर हो उठती हैं। कई बार राजकुमारी को बधाई देने पर अमीर परिवारों से गहने भी मिलते हैं। इनको वह सहेजकर रखती हैं और गरीब परिवारों की बेटियों की शादी में बतौर उपहार भेंट कर देती हैं। राजकुमारी किन्नर के इस नेक काम में उनकी एक दर्जन किन्नर शिष्याओं का भी सहयोग मिलता है। वह बताती हैं, “अबतक अपनी 5 बेटियों की शादी भी मैने पूरे विधी विधान से की है और 1000 ले ज्यादा जरुरतमंदो की शादियों में मदद कर चुकी हूँ। घर से निकाले हुए बुजुर्गों की सेवा, गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को भोजन, राशन एवं कपड़ा बांटना,अनाथ बच्चों को माँ का प्यार देना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है जिसे मैं निभा रही हूँ और आखिरी सांस तक करुंगी।”

कोविड-19 के मुश्किल हालात में भी जब खुद के खाने के लाले पड़े हैं तब भी राजकुमारी ने हार नहीं मानी। कोरोना की दस्तक को चुनौती मानते हुए वह गरीबों की हमदर्द बन गई हैं। उन्होनें दो वक्त की रोटी के लिए अनाज एवं तन ढकने के लिए कपड़ों को भी बांटा। अब तक करीब 300 गरीबों को करीब 1 लाख का अनाज वितरण कर चुकी हैं।

राजकुमारी बताती हैं, “कोरोना काल में सेवा कार्य करने से मेरी भी आर्थिक स्थिति अब खराब हो गई है। मैं फिर भी रोजाना करीब 20 जरुरतमंदों को खाना खिलाती हूँ और जब तक जीवन है जरुरतमंदों की सेवा जारी रहेगी।“

रितुडीह पंचायत के सदस्य बैजनाथ महतो बताते हैं, “राजकुमारी किन्नर अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा गरीब, लाचार एवं बेसहारा लोगों पर खर्च करती हैं, स्थानीय स्तर पर वह अक्सर शादियों के लिए भी जरुरतमंदों का मदद करती हैं। यही नहीं, ठंड के दिनों में कंबल एवं शॉल वितरण भी उनके सेवा कार्यों का हिस्सा है।”

राजकुमारी किन्नर के हौसले और लाचारों की मदद करने के उनके जज्बे ने उन्हें आम से खास बना दिया है। आज वह पूरे झारखंड में राजकुमारी किन्नर माँ के नाम से पहचानी जाती हैं और हजारों लोगों के जीवन को एक नया आयाम दे चुकी हैं।

झारखंड की राजकुमारी किन्नर के समाज में खुशी लाने के प्रयासों को और जरुरतमंदों के चेहरे पर मुस्कुराहट लौटाने की कोशिश को द बेटर इंडिया सलाम करता है।

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