कविता दुनिया को खूबसूरत बनाने का एक जतन : डॉ राम सुधार सिंह
'सपनवा न भीजइ हो' पुस्तक का हुआ लोकार्पण
डॉ कमलाकर त्रिपाठी को दिया गया पुरुषोत्तम प्रियदर्शी सम्मान
धूमधाम से मनाया गया पंडित हरिराम द्विवेदी का जन्मदिन
वाराणसी : कादीपुर शिवपुर स्थित अशोक मिशन जन नाट्यशाला के द्वारा सोमवार को पंडित हरिराम द्विवेदी की पुस्तक “सपनवा न भीजइ हो” का लोकार्पण तथा अवकाश प्राप्त चिकित्सक पद्मश्री डॉ कमलाकर त्रिपाठी को पुरुषोत्तम प्रियदर्शी सम्मान से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने हरि भैया को उनके जन्मदिन की बधाई दी। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्पांजलि से हुआ। इस अवसर पर पुस्तक के संपादक डॉ राम सुधार सिंह ने अपने संपादकीय उद्बोधन में कहा – “कविता दुनिया को खूबसूरत बनाने का एक जतन है हर कोई अपने अपने ढंग से यह जतन करता है। हरि भैया की तरफ से वह इस तरह है कि वह दुनिया को उसकी खूबसूरती की तरफ से दिखा देते हैं कि इसे सजाए रखिए और उसे बदसूरत बनाने वाली जो चीजें हैं उनकी तरफ भी संकेत कर देते हैं कि उन्हें दुराए रखिए”।
डॉ सदानंद शाही ने कहा- पद्मश्री डॉ कमलाकर त्रिपाठी ने चिकित्सीय कार्य को मानव सेवा का आधार बनाकर एक अनुकरणीय उदाहरण समाज में प्रस्तुत किया है। आज सम्मान पाकर डॉक्टर कमलाकर त्रिपाठी नहीं, वरन सम्मान ही सम्मानित हुआ है। हमने ईश्वर को नहीं देखा है लेकिन चिकित्सक के रूप में हमें ईश्वर के दर्शन होते हैं। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए पद्मश्री डॉ कमलाकर त्रिपाठी ने दार्शनिक अंदाज में कहा- “हम तो मात्र अपने किरदार का निर्वहन कर रहे हैं विश्व रंगमंच पर। स्टेज पर दी गई भूमिका और वास्तविक जीवन की भूमिका को यदि हम अलग कर सके, तभी हमारा कार्य अनुकरणीय हो सकेगा। स्टेज पर सम्राट की भूमिका अदा करने वाला वास्तविक जीवन में रंक हो सकता है। निस्पृह भाव से मानव की सेवा किसी सम्मान के दायरे में नहीं वरन अनुकरणीय प्रेरक कार्य होती है जो दूसरों को इस दिशा में प्रेरित करती है।
इस अवसर पर डॉ त्रिपाठी को अशोक मिशन एजुकेशनल सोसायटी द्वारा “पुरुषोत्तम प्रियदर्शी” सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रशस्ति वाचन संस्था की अध्यक्ष शोभना प्रधान के द्वारा किया गया। पुस्तक लोकार्पण “सपनवा न भीजइ हो” के अवसर पर पंडित हरिराम द्विवेदी ने अपनी सुप्रसिद्ध रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने उनको जन्मदिन की बधाई दी। अध्यक्षीय उद्बोधन में दयानिधि मिश्र ने हरि भैया और त्रिपाठी जी के स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की कामना करते हुए कहा- “हरि भैया का अपना एक संगीत घराना है, आपने एक से बढ़कर एक शिष्यों को तैयार किया है। जो आपकी भोजपुरी साधना के प्रसाद है। हरि भैया एक विशाल हृदय और साहित्य अनुरागी व्यक्तित्व है। इस अवसर पर रविकेश मिश्र ने भी अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन अशोक आनंद ने किया। स्वागत डॉ मेजर अरविंद कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रकाश उदय ने किया। मंचीय व्यवस्था मुन्नालाल चौहान ने पूर्ण की।