लखनऊ

सुविधाओं के अभाव में एमसीएच विंग में नहीं हो पा रहा ऑपरेशन

अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ न होने से बाहर जांच कराने को मजबूर हो रहे मरीज

सुरेश गांधी

वाराणसी : दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल परिसर में बीस करोड़ से भी अधिक लागत से 50 बेड वाले एमसीएच विंग में सुविधाओं के अभाव में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कहने को हास्पिटल में मरीजों के निशुल्क ऑपरेशन की सुविधा शुरू हो गई है, लेकिन अल्ट्रासाउंड से लेकर जरुरी उपकरण व संबंधित कर्मचारियों नर्सो की कमी से सारे दावे थोथा साबित हो रहे है। हास्प्टिल में महिला विशेषज्ञ चिकित्सक एक-दो नहीं तीन-चार है, लेकिन सुविधाएं नहीं होने से मजबूरन उन्हें मरीजों के संबंधित रोगों की जांच के लिए बाहर भेजना पड़ता है। हालांकि खुशी यह है कि चिकित्सालय में ब्लड जांच मैनुअली की जगह आधुनिक मशीनों से जांच होने लगी है। इससे थॉयराड सहित अन्य जरुरी जांच के लिए मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़ता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अस्पताल में आधुनिक मशीन उपलब्ध करा बेहतर सुविधा देने का दावा करती रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती दिख रही है।

बता दें, पं दीनदयाल अस्पताल में मरीजों की निशुल्क इलाज होता है। हास्पिटल में मरीजों की जांच के लिए कई प्रकार की मशीन लगायी गयी हैं। उनकी सुविधाओं के लिए हॉस्प्टिल में एमआरआ, सीटी स्केन व अल्ट्रासाउंड जांच की आधुनिक मशीने है, पर चिकित्सकों व कर्मियों की कमी से इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। विशेषज्ञ तकनीशियन के अभाव में अक्सर जांच प्रभावित होती है। पिछले एक माह से अल्ट्रासाउंड जांच पूरी तरह बंद है। इससे मरीजों सोनोग्राफी जांच से संबंधित मरीजों को जांच के लिए निजी केन्द्रों का सहारा लेना पड़ता है। साथ अधिक पैसै खर्च करने पड़ते है। खासकर गरीब मरीज पैसे के अभाव में जांच भी नहीं करा पाते और बिना जांच के चिकित्सक उनके इलाज नहीं कर पाते है। ऐसे में हैरान-परेशान मरीज एवं उनके तीमारदारों ने जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी से हास्पिटल में अल्ट्रासाउंड जांच शीघ्र शुरु कराने की मांग की है। मरीजों की स्थिति को देखते हुए अस्पताल प्रसाशन ने भी शासन को कई बार पत्र लिखकर तकनीशियन के नियुक्ति की मांग की, लेकिन इसमें लेटलतीफी होती ही जा रही है।

खास यह है कि दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल परिसर में 50 बेड वाले एमसीएच विंग में मरीजों के निशुल्क इलाज शुरू हो गई है। विंग का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना है। ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु-दर को कम किया जा सके। लेकिन एमसीएच विंग में सामान्य प्रसव कराने के साथ ही हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के केस तो आते है, लेकिन सुविधाओं एवं सहायकों की कमी से उनके इलाज नहीं हो पा रहे है। हालांकि अस्पताल में आधुनिक सीडब्ल्यू सीए, कंप्लीट ब्लड काउंटकी मशीन होने से यहां लोगों को हर तरह के ब्लड टेस्ट की सुविधा मिलने लगी है। थॉयराइड की जांच शुरु होने से मरीज काफी राहत महसूस कर रहे है। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि चिकित्सकों व कर्मियों के अभाव को शीघ्र ही दूर किया जायेगा। अस्पताल में आने वाले रोगियों से किसी भी कोताही न बरतने की नसीहत चिकित्सकों को दी गयी है। उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में अब डाक्टर की कमी नहीं है, जो है, वह शीघ्र ही पूरी कर दी जाएगी, मगर इतना कुछ होते हुए भी कई बार देखने में आया है कि यहां से रोगियों को शिफ्ट किया जाता है, वह सही नहीं है। यहां रोजाना कई सर्जरी भी हो रही हैं। अस्पताल में ब्लड बैंक की भ्ज्ञी सुविधा है। एक्सरे सुचारु रुप से हो रहा है। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। दूर दराज के गांवों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं
अस्पताल में हर रोज दर्जनों मरीजों को अल्ट्रासांउड की जरूरत है खासकर महिला अस्पताल में रोज 15-20 गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण गर्भवतियों का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाता है।

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