अद्धयात्म
इस नक्षत्र में जन्मे लोग दिमाग से होते हैं तेज
दशमी तिथि में विवाहादि मांगलिक कार्य, गृहारम्भ, प्रवेश, यात्रा, सवारी तथा अन्य समस्त शुभ व मांगलिक कार्य और इसी प्रकार एकादशी तिथि में भी उक्त वर्णित समस्त शुभ व मांगलिक कार्यों सहित चित्रकारी, देवकार्य, देवोत्सव और व्रतोपवास आदि कार्य शुभ रहते हैं।
पर अभी मलमास में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं हैं। दशमी तिथि में जन्मा जातक सामान्य रूप से धनवान, प्रतिभावान, धर्मकार्यों का ज्ञाता, परिवार की भलाई का इच्छुक, कलाकार व भाइयों के प्रति अच्छे व्यवहार वाला होता है।
रेवती नक्षत्र में यदि समयादि शुद्ध हो व तिथि ग्राह्य हो तो घर, देवमन्दिर, अलंकार, विवाह, जनेऊ, जल व स्थल सम्बन्धी कार्य तथा अश्विनी नक्षत्र में यात्रा, दवाग्रहण, अलंकार, विद्या व चित्रकारी आदि के कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
रेवती व अश्विनी दोनों ही गण्डान्त मूल संज्ञक नक्षत्र हैं। अत: इन नक्षत्रों में जन्मे जातकों के संभावित अरिष्ट निवारण के लिए आगे 27 दिन बाद जब इन नक्षत्रों की पुनरावृत्ति हो, उस दिन नक्षत्र शान्ति (मूल शान्ति) करवा लेना हितकर रहेगा।
रेवती नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: माता-पिता की सेवा करने वाला, चाल व वाणी तेज, बुद्धिमान, मित्रों से खुश रहने वाला, शरीर से पुष्ट, मेधावी, कुशाग्र बुद्धि, विद्वान, बुद्धिजीवी, कवि, लेखक, पत्रकार, परामर्शदाता व मधुरभाषी होता है।
वारकृत्य कार्य
रविवार को स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, पदारूढ़ होना, यात्रा, सवारी, नौकरी, पशु क्रय-विक्रय, यज्ञ, हवन, औषध निर्माण और सेवन, अस्त्र-शस्त्र व्यवहार, सोना, ताम्बा, ऊन व काष्ठ सम्बन्धी कार्य तथा यज्ञादि मन्त्रोपदेश आदि कार्य सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी। वैसे शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर कुछ घी खाकर अति आवश्यकता में प्रस्थान किया जा सकता है।