रेलवे को 5 साल में मिले 1.18 करोड़ के नकली नोट
जोधपुरः भारत के नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे को पिछले 5 साल के दौरान करीब एक करोड़ 18 लाख रुपए के नकली नोट मिले हैं। यह नोट रेलवे के विभिन्न टिकट काऊंटर और पार्सल व लगेज बुकिंग ऑफिस में ग्राहकों से लिए गए हैं। अब मामला यह है कि इनमें से रेलवे ने 74.98 लाख रुपए के नकली नोट लेने से इंकार कर दिया और अपने कर्मचारियों को लौटा दिया है। इसके बदले में उनसे असली नोट की वसूली की जा रही हैं। कैग को आशंका है कि कहीं रेलवे के कर्मचारियों ने यह नोट बाजार में दोबारा चला तो नहीं दिए हैं, क्योंकि कर्मचारियों ने इन रुपयों का क्या किया? कुछ भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि जब कैग ने इस मामले में रेलवे से पूछा तो उसका कहना है कि कर्मचारियों ने यह नोट जला दिए हैं। जबकि रिकॉर्ड में इनके निस्तारण का कहीं कोई सबूत नहीं है। वैसे भी नियम यह कहता है कि नकली नोट सामने आने के बाद जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता। रेलवे को यह नोट अार.बी.आई. को वापस करना था या जी.आर.पी. को जमा करवा देना चाहिए था।
रिपोर्ट में एक रोचक पहलू यह भी सामने आया है कि बीते 5 साल में रेलवे ने नकद लेन-देन करने वाले अपने 33 हजार 188 कर्मचारियों में से महज 1720 (करीब 5 फीसदी) को ही नकली नोट पहचानने की ट्रेनिंग दिलवाई है। बीते 5 साल में रेलवे के 12 जोन के 26 कैश ऑफिस से 56.34 लाख रुपए के नकली नोट रेलवे को मिले। इसके अलावा 6 जोन से 61.97 लाख रुपए के नकली नोट रेलवे काऊंटर से बैंक में पहुंचे। बैंकों ने इन्हें लौटाने की जगह रेलवे के नाम इतनी राशि का डैबिट जारी कर दिया। बैंकों तक पहुंचे नकली नोट में एक रोचक मामला यह भी है कि सैंट्रल रेलवे के कर्मचारियों ने 18.64 लाख के नकली नोट आई.डी.बी.आई. बैंक में जमा करवाए थे। बैंक ने इन्हें पकड़ लिया और डैबिट जारी कर दिया। सीएजी को पता चला है कि रेलवे कर्मचारी बैंक से ये नोट वापस ले आए। बैंक ने भी नियम विरुद्ध तरीके से नोट लौटा दिए। कर्मचारियों ने इनका निस्तारण कैसे किया, इसका भी हिसाब रेलवे के कागजों में नहीं है। इधर, रेलवे के 3 जोन दक्षिण रेलवे, दक्षिण मध्य रेलवे और दक्षिण पश्चिम रेलवे ने 3.60 लाख के नकली नोट आर.बी.आई. को जरूर सौंपे।