अन्तर्राष्ट्रीय

विकीलीक्स के जूलियन असांजे दोषी पाए गए तो होगी 175 साल की सजा

आपने जूलियन असांजे का नाम तो सुना ही होगा । वही असांजे विकीलीक्स वाले । आपने विकीलीक्स के बारे में भी सुना ही होगा जिसने एक समय में दुनिया भर में तहलका मचा दिया था। एक बार फिर से जूलियन असांजे और विकीलीक्स चर्चा में हैं। दरअसल विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित किया जाएगा। इसके लिए ब्रिटेन की अदालत ने औपचारिक रूप से आदेश जारी कर दिया है।

असांजे ने विकीलीक्स की वेबसाइट पर मिलिट्री और डिप्लोमेटिक डॉक्युमेंट सार्वजनिक किए थे। इसके जरिए उन्होंने अमेरिका, इंग्लैंड और नाटो की सेनाओं पर इराक में युद्ध अपराध का आरोप लगाया था। असांजे पर यह भी आरोप है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी खुफिया एजेंसियों ने हिलेरी क्लिंटन के कैम्पेन से जुड़े ईमेल हैक कर विकीलीक्स को दिए थे।

असांजे ने 2010-11 में हजारों क्लासिफाइड डॉक्युमेंट्स को पब्लिक कर दिया था। दुनिया भर के सरकारों , नेताओं की गोपनीय सूचनाओं की पोल खोल दी थी। तब एक बड़े वर्ग ने माना था कि ग्लोबल करप्शन से निपटने में विकीलीक्स एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। खुद ही सोचिए कि अगर दुनिया भर की स्ट्रैटेजिक सूचनाओं, डिफेंस से रिलेटेड सूचनाओं, युद्ध और शांति से जुड़ी सूचनाओं को कोई व्यक्ति सार्वजनिक करने जाएगा तो बड़े-बड़े देश उसका क्या हश्र करेंगे, ऐसा ही कुछ जूलियन असांजे के साथ भी हुआ। असांजे के क्रांतिकारी कदम से दुनियाभर के देश उनसे नाराज हो गए अमेरिका भी उनसे नाराज हुआ और असांजे को 2012 में इक्वाडोर से शरण मांगनी पड़ी जिसके बाद लंदन में इक्वाडोर ऐम्बेसी में उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया गया। वे यहां 2012 से 2019 के बीच रहे। 11 अप्रैल 2019 को वे कोर्ट में पेश होने से चूक गए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

असांजे ऑस्ट्रेलिया के नागरिक हैं। वह 2019 से लंदन की बेल्मार्श जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद अमेरिका की तरफ से उन्हें प्रत्यर्पित करने के लिए कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी को सार्वजनिक किया गया। अप्रैल 2019 में अमेरिका ने उन पर हैकिंग की साजिश रचने का आरोप लगाया था। 23 मई 2019 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने असांजे के खिलाफ जासूसी के 17 केस दर्ज किए। अगर असांजे पर लगे सभी आरोपों में उन्हें दोषी पाया जाता है, तो 175 साल तक की सजा हो सकती है। इसी के चलते असांजे अमेरिका प्रत्यर्पण के लिए राजी नहीं थे।

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