उत्तराखंड

राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार, 2022 में देश को मिले कुल 29 पुरस्कारों में से 20 उत्तराखंड को 

ग्रासरूट डेमॉक्रेसी का मॉडल बन रहा उत्तराखंड 

विवेक ओझा 

लखनऊ: अप्रैल को हर साल राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाता है और इस दिन शीर्ष नेतृत्व द्वारा देश की पंचायतों को मजबूत बनाने का आवाहन किया जाता है लेकिन पिछले चार-पांच सालों से यह केवल आवाहन मात्र नहीं रह गया है बल्कि देश भर की ग्राम पंचायतों को जरूरी अधिकार देने के लिए मोदी सरकार पूर्ण प्रतिबद्ध दिखी है। देश भर की ग्राम पंचायतों के मनोबल को बढ़ाने के लिए हर साल उत्कृष्ट कार्य करने वाले पंचायतों और उनके ग्राम प्रधानों को सम्मानित भी किया जाता है और इसी कड़ी में 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार-2022 दिए गए हैं जिसमें देशभर से 29 ग्राम प्रधानों को पुरस्कृत किया गया और उसमें से सबसे अधिक 20 उत्तराखंड से हैं। 

संदेश साफ है कि 2025 तक उत्तराखंड को गुड गवर्नेंस के मामले में शीर्ष स्तर पर ले जाना है और उसे राज देश के सबसे विकसित राज्यों के बीच अग्रणी बनाना है। इस बार सोशल सिक्योर ग्राम पंचायत पुरस्कार 2022 में उत्तराखंड की देहरादून जिले से सात, अल्मोड़ा जिले से पांच, पौड़ी जिले से चार, उत्तरकाशी जिले से दो व नैनीताल और टिहरी जिले से एक-एक पंचायत को सम्मानित किया गया।  जिन अन्य  राज्यों की ग्राम पंचायतें सम्मानित हुईं उनमें शामिल हैं :  उत्तराखंड- 20 , जम्मू-कश्मीर- 3, हिमाचल प्रदेश- 2 , मध्यप्रदेश- 1, त्रिपुरा- 1, महाराष्ट्र-1 पंजाब-1

इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तराखंड ग्रासरूट डेमॉक्रेसी और पंचायती राज संस्थाओं के सशक्तीकरण का मॉडल बन रहा है। उत्तराखंड  देश के कुछ उन राज्यों में से है जहां वन पंचायतें भी हैं और वन पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाले पहले राज्यों में से उत्तराखंड भी एक था। उत्तराखंड की वन पंचायतें सामुदायिक वनों को कुशलता से प्रबंधित करने के लिए जानी जाती हैं। प्रत्येक वन पंचायत स्थानीय जंगल के उपयोग, प्रबंधन और सुरक्षा के लिए अपने नियम बनाती है। 

गौरतलब है कि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने इन 20 ग्राम प्रधानों को एक कार्यक्रम में सम्‍मानित किया। उनका कहना था कि ” पंचायती राज की शुरुआत ग्राम के वार्ड सदस्य से होती है। इस व्यवस्था के तहत जुड़े होने से जनता के बीच जाने का मौका मिलता है।” इस कार्यक्रम में वन मंत्री सुबोध उनियाल ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी और उनका कहना था कि इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली पंचायतें और बेहतर कार्य के लिए प्रेरित होंगी। साथ ही अन्य पंचायतों के लिए रोल माडल बनेंगी।

मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में पंचायती राज सशक्तीकरण

अभी कुछ समय पहले ही नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आजादी के अमृत महोत्सव के शुभ अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विशिष्ट सप्ताह के अंतर्गत “सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण पर हितधारकों के राष्ट्रीय सम्मेलन” का आयोजन किया गया ।

इसमें उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रदेश के पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज ने अपने संबोधन में देश के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह और राज्यमंत्री कपिल मोटेश्वर पाटिल को आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि महामहिम उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू जी का यह कहना सही है “जब ग्राम राज्य होगा तभी रामराज्य होगा” यह वास्तविकता है कि हम बिना गांव को मजबूत की भारत को मजबूत नहीं कर सकते। सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में भी पंचायतों को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लगातार कार्य कर रहे हैं। राज्य की कुल 7791 ग्राम पंचायतों को बेहतर दशा दिशा देने के लिए उत्तराखंड सरकार प्रतिबद्ध है।

( लेखक दस्तक टाइम्स के उत्तराखंड संपादक हैं )

Related Articles

Back to top button