नकदी की तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान, आईएमएफ ने राहत पैकेज बढ़ाने पर जताई सहमति
इस्लामाबाद। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान और आईएमएफ ने रुके हुए बेलआउट पैकेज (राहत पैकेज) को एक साल तक बढ़ाने पर सहमति जताई है। वहीं इस अवधि में आईएमएफ कर्ज का आकार भी बढाएगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बेलआउट पैकेज की समय सीमा बढ़ने से प्रधानमंत्री शहबाज के नेतृत्व वाली नई सरकार को राहत मिलेगी।
एक मीडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल और आईएमएफ के उप प्रबंध निदेशक एंटोनेट सईह के बीच वाशिंगटन में महत्वपूर्ण बातचीत के बाद समझौता हुआ। इस मामले पर आईएमएफ का सोमवार को एक बयान जारी करने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सहमति व्यक्त की है कि बेलआउट पैकेज सितंबर 2022 की मूल समाप्ति अवधि के मुकाबले नौ महीने से एक वर्ष तक बढ़ाया जाएगा, जबकि कर्ज भी मौजूदा छह बिलियन डॉलर से बढ़ाकर आठ बिलियन डॉलर किया जाएगा।
नकदी की तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता के दौर से भी गुजर रहा है और आईएमएफ द्वारा राहत में मूल अवधि से अधिक समय तक बने रहने के फैसले से आर्थिक नीतियों में स्पष्टता आएगी और बाजार में हलचल शांत होगी। इमरान सरकार और आईएमएफ ने छह बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल मूल्य के साथ 39 महीने की विस्तारित फंड सुविधा (जुलाई 2019 से सितंबर 2022) पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, पिछली सरकार अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही और यह राहत पैकेज अधिकांश समय तक रुका रहा क्योंकि तीन बिलियन अमरीकी डॉलर का भुगतान नहीं किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि इस विस्तारित कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए एक आईएमएफ का समूह 10 मई को पाकिस्तान का दौरा करेगा, सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ टीम का नेतृत्व उसके नए मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर करेंगे।
आईएमएफ ने कहा था गिरेगी पाक की आर्थिक दर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की एक रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान पर चीन का कर्ज बढ़ते-बढ़ते 18.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। यानी देश पर जो कुल विदेशी कर्ज है, उसमें 20 फीसदी हिस्सा चीन का है। पाकिस्तान पर कुल 92.3 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज है।
आईएमएफ के अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर चार फीसदी रहेगी। जबकि अगले वित्त वर्ष तक देश पर विदेशी कर्ज बढ़ कर 103 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि इस संकट के बीच पाकिस्तान अधिक से अधिक चीन पर निर्भर होता जा रहा है। इसका असर अब उसकी विदेश नीति पर भी दिखने लगा है।