नई दिल्ली: आजकल इंटरनेट का दौर है. हम लोग अपने 24 घंटों में से अधिकांश समय सोशल मीडिया पर ही बिताते हैं. इसके चलते लोगों को फोन का एडिक्शन हो जाता है. लोग बार-बार अपना फोन चेक करते हैं. कई बार ऐसा लगता है कि फोन वाइब्रेशन पर रखा है और बज रहा है या फिर बार-बार फोन की घंटी सुनाई पड़ती है और जब फोन उठाने जाते हैं तो फोन पर कोई कॉल नहीं आती? अगर ऐसा है तो यह किसी मानसिक समस्या का संकेत भी हो सकता है.
बार-बार सुनाई देती है फोन की रिंगटोन?
बार-बार फोन की रिंगटोन सुनाई देना या वाइब्रेशन का आभास नजरअंदाज करने की बात नहीं है बल्कि ‘फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम’ (Phantom Vibration Syndrome) या ‘रिंगजाइटी’ नामक एक मानसिक समस्या की शुरुआत भी हो सकती है. इस सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को बार बार लगता है कि उनके फोन की घंटी बज रही है. जबकि असल में वो नहीं बज रही होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि जो लोग इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं, उनको फोन पर अपडेट या मैसेज ना आने पर पसीना और बेचैनी होने लगती है.
युवाओं के लिए अलार्म
डॉक्टर्स का मानना है कि बार-बार फोन की घंटी या वाइब्रेशन की आवाज आना, या बार-बार मैसेज चेक करना जैसे लक्षण 25 से 40 साल की उम्र के लोगों में सबसे ज्यादा दिखाई देते हैं. इसलिए यह हमारी युवा पीढ़ी के लिए अलार्म है.
हो सकते हैं गंभीर परिणाम
अगर समय रहते इस आदत पर गौर ना किया जाए तो इसके गंभीर नतीजे देखने को मिल सकते हैं. दरअसल ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले लोगों को अक्सर कपड़ों में सरसराहट या मासपेशियों में ऐंठन होने से बार-बार ऐसा लगता है जैसे उनका या उनके आसपास का कोई मोबाइल वाइब्रेट हो रहा हो. लेकिन चेक करने के बाद पता चलता है कि ये उनकी गलतफहमी थी.
इस वजह से होता है ऐसा अहसास
दरअसल फैंटम वाइब्रेशन सिंड्रोम में दिमाग उन चीजों के बारे में सोचता या महसूस करता है, जो असल में होती नहीं है. ऐसा ज्यादातर तब देखने को मिलता है, जब हमारा फोन वाइब्रेशन पर लगा हो और अचानक वो किसी वजह से वाइब्रेट कर जाए. इसके बाद हम चाहे किसी भी काम में व्यस्त हो जाएं, लेकिन हमारे दिमाग में ऐसी धारणाएं घूमती रहती हैं कि हमारा फोन वाइब्रेट करेगा तो हम शायद ना उठा पाएं इसीलिए हम बार-बार फोन चेक करते हैं.
इस वजह से ज्यादा होती हैं ऐसी समस्याएं
गौरतलब है कि ऐसा आभास अधिकतर उन लोगों को होता है जिनको यह सिंड्रोम होते हैं.
फोन पर बहुत अधिक बात करने या किसी फोन या मैसेज का बेसब्री से इंतजार करने की स्थिति में भी बार-बार घंटी सुनाई पड़ने का आभास हो सकता है.
हर समय दोस्तों से फोन पर चैटिंग करने वाले लोगों को यह भ्रम ज्यादा होता है क्योंकि ऐसे में थोड़े से अकेलेपन में वे खुद को इमोशनल तौर पर असुरक्षित महसूस करते हैं.
फोन या टेक्सटिंग की लत भी इसकी एक वजह हो सकती है.
बात-बात पर घबराने वाले लोगों को ऐसे आभास अधिक होते हैं.
इन उपायों का करें इस्तेमाल
इस सिंड्रोम से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखें और अपनी आदतों में कुछ बदलाव लाएं.
अपने मोबाइल की नोटिफिकेशंस बंद कर दें. इससे आपका ध्यान बार-बार फोन पर नहीं जाएगा.
कुछ घंटों के लिए अपने फोन का डेटा बंद कर दें.
खुद से एक टारगेट सेट करें और तब तक फोन से दूरी बनाएं.
हर सोशल साइट पर अपना प्रोफाइल ना बनाएं.
फोन की जगह अपने लोगों को खास टाइम दें.