अप्रैल के महीने में पारा 40 के आसपास बना हुआ है जो शरीर का पानी सुखाने के लिए पर्याप्त है. यही वजह है कि इस मौसम में पानी की बार-बार प्यास लगती है लेकिन कई बार पानी (Water) पीने के बावजूद शरीर में पानी की कमी हो जाती है। अप्रैल के महीने की शुरुआती गर्मी के चलते अस्पतालों में डिहाइड्रेशन (Dehydration) के मरीजों की संख्या हर बार ही बढ़ जाती है. बड़ों के अलावा बच्चों में भी ये समस्या आम है. हालांकि आयुर्वेद से जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अगर खान-पान को सही और मौसम के अनुरूप रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है ।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) के मेडिकल सुपरिटेंडेंट वैद्य एस राजगोपाल ने बताया कि इस मौसम में डिहाइड्रेशन की परेशानी सबसे ज्यादा होती है. जिसके चलते लोगों के शरीर में पानी की कमी होती है और कई अन्य बीमारियां भी घेर लेती हैं. इसलिए जरूरी है कि शरीर को हाईड्रेट रखने पर ध्यान दिया जाए. अप्रैल में क्योंकि चढ़ती हुई गर्मी होती है ऐसे में इस मौसम में शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाने वाले उत्पादों का प्रयोग करना बेहद जरूरी हो जाता है. खास बात है कि सिर्फ पानी पीने से शरीर में पानी की मात्रा की पूर्ति नहीं होती, इसके लिए अन्य चीजें भी लेना जरूरी हैं ताकि पानी के साथ-साथ पोषण तत्व भी शरीर में मौजूद रहें।
वैद्य कहते हैं कि आयुर्वेद (Ayurveda) हो चाहे कोई भी अन्य चिकित्सा पैथी हो शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखने के लिए सभी की ओर से पानी सहित पेय पदार्थों को पीने की सलाह दी जाती है. वहीं आयुर्वेद पारंपरिक खानपान यानि मौसमी फल, सब्जी और पेय पदार्थों के उपयोग की सलाह देता है. आयुर्वेद के अनुसार प्रकृति द्वारा दिए गए ऐसे फल और सब्जियां हैं जो पानी की भरपूर मात्रा अपने अंदर रखते हैं इसके साथ ही पोषण तत्वों से भरे होते हैं, लिहाजा इनका सेवन बेहद जरूरी है. ऐसे में लोगों को ये समझना जरूरी है कि वे गर्मी के मौसम में क्या खाएं, पीएं और क्या नहीं।
डिहाइड्रेशन (Dehydration) से बचने के लिए क्या करें
. सबसे पहले खूब पानी पीएं.
. कोशिश करें कि पानी सादा पीने के बजाय उसमें नींबू, ग्लूकोज, कोई शर्बत आदि डालकर लें.
. कहीं भी बाहर जाएं तो उससे पहले कच्चे आम का पन्ना बनाकर पीएं. घर में रहते हुए भी पीएं तो और बेहतर है.
. बेल का शर्बत, फालसे का शर्बत, खस का शर्बत, लस्सी, छाछ आदि पीएं.
. खाने के साथ दोपहर में सलाद जरूर खाएं. उसमें खीरा और टमाटर प्रमुख है.
. मौसमी फलों का सेवन करें. इनमें तरबूज, खरबूज,स्ट्रॉबेरी, बेल आदि रसभरे फल ले सकते हैं.
. घर के अंदर सामान्य तापमान में रहें, न ज्यादा ठंडा और न ज्यादा गर्म.
. मौसमी सब्जियां, हरी सब्जियां, पालक, हरा धनिया, हरी मिर्च, लॉकी, टिंडा, चपलकद्दू आदि खाएं।
क्या न करें
. लोगों को लगता है कि गर्मी में 8 लीटर पानी पीना है, ऐसा लक्ष्य वे बनाते हैं लेकिन इतना ज्यादा पानी पीना भी सही नहीं है. रोजाना 4 लीटर तक पानी पर्याप्त है. कोशिश करें पानी की पूर्ति अन्य पेय पदार्थों से करें।
. बाहर धूप में कम से कम निकलें. अगर बाहर जाना भी है तो बिना छाता या गमछा लिए न जाएं।
. धूप में से सीधे आकर पानी न पीएं. ऐसी स्थिति में फ्रिज का पानी बिल्कुल न पीएं।
. एसी में से निकलकर सीधे ही धूप में भी न जाएं।
. गर्म धूप में से लाकर तरबूज, आम, खरबूज, खीरा आदि फल तुरंत न खाएं. इन्हें कुछ देर पानी में डालकर छोड़ दें या धोकर फ्रिज में रख दें. ठंडा होने के बाद ही इस्तेमाल करें।
. व्यायाम (Exercise) करने के बाद पसीना निकल रहा है तो तुरंत ही पानी न पीएं. उसके कुछ देर बाद पानी पीना शुरू करें. दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीएं।
. पानी की कमी की पूर्ति के लिए कोल्ड ड्रिंक आदि पेय पदार्थ न पीएं. ये फायदे के बजाय नुकसान करेंगे।
. तलाभुना और मसालेदार खाने से परहेज करें।
. कहीं जाएं और कोई पानी की पूछे तो कभी मना न करें. कोशिश करें बिना मन के भी पानी पीएं।
ध्यान न देने पर ये हो सकती हैं परेशानियां
वैद्य कहते हैं कि अगर लोग इस मौसम में सावधानी नहीं बरतते हैं तो काफी मुश्किलें हो सकती हैं. शरीर में पानी की कमी से सरदर्द, उल्टी दस्त, कब्ज, थकान, चिड़चिड़ापन, यूरिन इन्फेक्शन (Urine Infection) या यूरिन में जलन, त्वचा संबंधी बीमारियां, त्वचा फटना, सांस लेने में दिक्कत, भूख न लगना, ब्लड प्रेशर की समस्या, गैस और एसिडिटी, बेहोशी आदि की समस्या हो सकती है. डिहाइड्रेशन होने पर मरीज को सिर्फ पानी पीने से राहत नहीं मिलती है, अस्पताल तक जाना पड़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित बनाकर रखा जाए।